scriptगुरु भी खुश नहीं, शिष्य भी सेमेस्टर प्रणाली से परेशान | professors and students not happy with semester system.. | Patrika News

गुरु भी खुश नहीं, शिष्य भी सेमेस्टर प्रणाली से परेशान

locationसूरतPublished: Feb 15, 2018 11:18:45 am

वीएनएसजीयू के प्राध्यापकों और पांच विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के बीच सर्वे

patrika photo
सूरत. राज्य के विश्वविद्यालयों में लागू हुई सेमेस्टर प्रणाली का विरोध होने लगा है। विद्यार्थी ही नहीं, प्राध्यापक भी सेमेस्टर प्रणाली का विरोध कर रहे हैं। सेमेस्टर प्रणाली को लेकर वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के शैक्षणिक संघ ने प्राध्यापकों और ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंटस ओर्गेनाइजेशन (डीएसओ) ने विद्यार्थियों के बीच सर्वे किया। सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सेमेस्टर प्रणाली से 83.4 प्रतिशत प्राध्यापक और 82.09 प्रतिशत विद्यार्थी संतुष्ट नहीं हैं।
professors and students not happy with semester system..
अध्ययन किए बिना ही अमल

राज्य में आठ साल पहले शिक्षा में क्रेडिट बेस चॉइस सिस्टम लागू किया गया। इस सिस्टम के तहत राज्य से सभी विश्वविद्यालयों ने अपने पाठ्यक्रमों में सेमेस्टर प्रणाली लागू कर दी। प्रणाली का पूरा अध्ययन किए बिना ही इस पर अमल शुरू कर दिया गया। अधूरे ढांचे के साथ शुरू हुई सेमेस्टर प्रणाली पहले ही साल प्राध्यापकों और विद्यार्थियों के लिए परेशानी बन गई। राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में विद्यार्थी संगठनों और प्राध्यापक संगठनों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन कर कुलपति से लेकर शिक्षा मंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर इस प्रणाली को बंद करने की गुजारिश की, लेकिन यह बंद नहीं की गई। अब इसका विरोध और बढ़ गया है। इस प्रणाली से विद्यार्थी और प्राध्यापक खुश हैं या नहीं, इसको लेकर अलग-अलग सर्वे किए गए। वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय में शैक्षणिक संघ ने प्राध्यापकों के बीच, जबकि डीएसओ ने राज्य के पांच विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के बीच सर्वे किया। इस सर्वे में 80 प्रतिशत से अधिक प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने सेमेस्टर प्रणाली से नाराज होने की बात बताई।
दोनों पर बढ़ गया बोझ
प्राध्यापकों और विद्यार्थियों के बीच किए गए सर्वे में ज्यादातर सवाल समान हैं। दोनों ने परीक्षा को लेकर विरोध जताया है। सेमेस्टर प्रणाली में दो साल में चार आंतरिक परीक्षा, कई टूटोरियल, एसाइनमेंट, क्लास टेस्ट, साल में दो बार विश्वविद्यालय परीक्षा से वह परेशान है। दोनों तनाव का शिकार हैं। परीक्षा की तैयारी के लिए पूरा समय नहीं मिल पा रहा है। 84.5 प्रतिशत विद्यार्थियों का मनाना है कि सालभर की परीक्षाओं के कारण उन पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। दूसरी तरफ 79.85 प्रतिशत प्राध्यापकों का कहना है कि प्रणाली में बार-बार परीक्षा होने के कारण उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है।
professors and students not happy with semester system..
प्राध्यापक नहीं कर पा रहे हैं अच्छा प्रदर्शन
दक्षिण गुजरात के शैक्षणिक संघ ने वीएनएसजीयू संबद्ध महाविद्यालयों के 11२४ प्राध्यापकों के बीच सर्वे किया। सर्वे में प्राध्यापकों से अलग-अलग सवाल पूछे गए। 83.4 प्रतिशत प्राध्यापकों ने सेमेस्टर प्रणाली पर नाराजगी जताई। 78.5 प्रतिशत प्राध्यापकों ने कहा कि उन्हें पढ़ाने का पूरा समय नहीं मिल रहा है। 57.9 प्रतिशत प्राध्यापकों ने कहा कि सेमेस्टर प्रणाली से विद्यार्थियों का प्रदर्शन कमजोर हुआ हैै। 61.4 प्राध्यापकों का कहना है कि सेमेस्टर प्रणाली में पाठ्यक्रम समय पर पूरा नहीं हो पाता। 51.3 प्रतिशत प्राध्यापकों ने बताया कि इस प्रणाली में लैब अपग्रेडेशन और प्रेक्टिकल के लिए भी पूरा समय नहीं मिलता। 76.3 प्रतिशत प्राध्यापकों ने कहा कि इस प्रणाली के कारण वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं।
पांच हजार विद्यार्थियों के बीच सर्वे
डीएसओ की सेक्रेटरी रिम्मी वाघेला और सूरत शहर प्रमुख नीरज मौर्य ने बताया की उनकी ओर से राज्य के पांच विश्वविद्यालयों में पांच हजार से अधिक विद्यार्थियों के बीच सेमेस्टर प्रणाली को लेकर सर्वे किया गया। सूरत में वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, वडोदरा में एमएस यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद में गुजरात विश्वविद्यालय, भावनगर विश्वविद्यालय और आणंद के सरदार विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों से 11 प्रश्न पूछे गए। इन प्रश्नों के जवाब में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
विद्यार्थी तनाव का शिकार
सर्वे में 87.6 प्रतिशत विद्यार्थियों ने बताया कि इस प्रणाली के कारण उन पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। 82.9 प्रतिशत विद्यार्थियों का कहना है कि उन्हें पढ़ाई के लिए पूरा समय नहीं मिल पाता। 79.81 प्रतिशत का कहना है कि उन्हें सेमेस्टर की पूरी किताबें नहीं मिलतीं। 80.84 प्रतिशत का कहना है कि उन्हें एनसीसी, एनएसएस, संस्कृतिक प्रवृत्ति और खेल के लिए समय नहीं मिल रहा है। 56.62 प्रतिशत विद्यार्थियों का कहना है कि उन्हें इस प्रणाली के कारण पूरा ज्ञान नहीं मिल रहा है। 80.53 प्रतिशत विद्यार्थी प्रणाली के कारण मानसिक तनाव का शिकार हैं। 70.39 प्रतिशत का कहना है कि कॉलेज में सोफ्ट स्किल, फाउंडेशन की क्लास नहीं हो रही हैं। 68.11 प्रतिशत विद्यार्थी कहते हैं कि चॉइस बेस सिस्टम लागू है, लेकिन वह मनपसंद विषय नहीं चुन पा रहे हैं। 69.97 प्रतिशत का कहना है कि इस प्रणाली के कारण शिक्षा का स्तर नीचे आया है। 34.89 प्रतिशत विद्यार्थी ऐसे भी हैं, जिन्हें सेमेस्टर प्रणाली के बारे में किसी तरह की जानकारी नहीं है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो