केंद्र सरकार लंबे अरसे से बैंकों के विलय के प्रारूप पर काम कर रही है। भारतीय स्टेट बैंक में उसके सहयोगी बैंकों के विलय के बाद तैयार किए गए फार्मूले के तहत अलग-अलग समूहों में बैंकों के विलय का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इस ड्राफ्ट के तहत केंद्र सरकार ने देना बैंक और विजया बैंक को बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय करने का ऐलान किया है। महागुजरात बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन और गुजरात बैंक वर्कर्स यूनियन के संयुक्त तत्वाधान में बैंककर्मियों ने मंगलवार को विलय के प्रस्ताव का विरोध किया।
महागुजरात बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन के संगठन मंत्री अनिल दुबे और गुजरात बैंक वर्कर्स यूनियन के संगठन मंत्री वसंत बारोट के नेतृत्व में बैंककर्मी मंगलवार शाम करीब छह बजे बैंक ऑफ बड़ौदा की घोड़दौड़ रोड शाखा पर जमा हुए। यहां वक्ताओं ने बैंकों के विलय के फैसले को आत्मघाती बताते हुए कहा कि इससे ग्राहकों को नुकसान उठाना पड़ेगा। साथ ही बैंक शाखाओं के बंद होने पर बैंक कर्मियों को स्थानांतरण या जबरन सेवानिवृत्ति जैसे निर्णय का शिकार होना पड़ सकता है। बैंकिंग अर्थतंत्र के लिए यह फैसला दूरगामी हित में नहीं है।
उन्होंने कहा कि निजी बैंकों की प्रतिस्पर्धा में पहले ही खाता धारकों को सरकारी बैंकों में कई तरह की मुश्किलें पेश आ रही हैं। बैंकों का विलय करने से खाताधारकों की मुश्किल बढऩा तय है। सभी बैंकों का वर्किंग सिस्टम अलग-अलग है। इस मर्जर से तीनों बैंकों के बैंकिंग सिस्टम में तारतम्य बिठाना आसान नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार की अपील की।