scriptजनता कर्फ्यू दे गया कई सबक | Public curfew gave many lessons | Patrika News

जनता कर्फ्यू दे गया कई सबक

locationसूरतPublished: Mar 23, 2020 09:35:40 pm

संवेदना के स्तर पर लोग अपने परिवार से जुडे, साथ बैठे और एक-दूसरे की भावनाओं को समझा

जनता कर्फ्यू दे गया कई सबक

जनता कर्फ्यू दे गया कई सबक

विनीत शर्मा

स्व नियंत्रण आदिकाल से भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा रहा है। साधना का यह मूल मंत्र रहा है। मनीषियों ने स्व पर नियंत्रण कर संस्कृति और सभ्यता को नए आयाम ही नहीं दिए, साधना के सिद्धांत को भी स्थापित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर रविवार को संपन्न हुआ जनता कर्फ्यू इस मायने में कई सबक दे गया। मोदी ने जनता कर्फ्यू का मंत्र देकर लोगों को स्व पर नियंत्रण का अभ्यास ही कराया है। इससे इतर दूसरी परिस्थितियों में लगने वाले कर्फ्यू में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ जाती है। जो लोग सड़कों पर नहीं निकल पाते सोसायटियों-मोहल्लों में मजमा जमाते हैं। इस दौरान घरबार भूलकर लोग देश-दुनिया की खोजखबर लेते हैं और अफवाहों का आदान-प्रदान करते हैं। इस मायने में रविवार को आहूत जनता कर्फ्यू खासा सफल रहा। पुलिस को उतनी समझाइश भी नहीं करनी पड़ी, जितनी आम दिनों में करनी पड़ जाती है। लोगों ने स्व पर नियंत्रण कर कोरोना के सामुदायिक प्रसार को अटकाने में अहम भूमिका निभाई है।
यह तो थी जनता कर्फ्यू की वह उपलब्धि, जिसके लिए इसे आहूत किया गया था। इसकी सामाजिक उपलब्धियां कहीं ज्यादा बड़ी रहीं। बरसों बाद ऐसा मौका आया होगा, जब लोग बिना वजह दिनभर घर में बैठे और परिवार के लोगों ने आपस में संवाद किया। एक-दूसरे को समझा और समझाया। बीते पांच-सात साल में युवा हुई पीढ़ी तो स्मार्ट फोन में ऐसी उलझी है कि वह सामाजिक ताना-बाना भी भूल गई है। उसे खयाल ही नहीं कि परिवार के लोगों के साथ महीनों सार्थक बातचीत नहीं होती, जबकि आभासी दुनिया में दिन में दस बार उन लोगों के साथ संवाद होता है, जिनके साथ असल जिंदगी में कभी सामना भी नहीं हुआ हो। संवेदना के स्तर पर लोग अपने परिवार से जुडे, साथ बैठे और एक-दूसरे की भावनाओं को समझा।
आम दिनों में सुबह सवेरे भी चिडिय़ों की चहचहाहट सुनाई नहीं देती। प्रकृति प्रेमी जो जंगलों में नहीं जा पाते, स्मार्ट फोन पर इसे सुनकर कानों को तसल्ली दे लेते हैं। जनता कर्फ्यू में जब लोग घरों के दरवाजे तक बंद करके बैठे थे, पता चला कि प्रकृति का संगीत बचा रह गया है। चिडिय़ों की चहचहाहट जो सुबह के समय भी सुनने को नहीं मिलती, दिनभर सुनाई दी। खुले आसमान में मानव का दखल जैसे ही कम हुआ, चिडिय़ों के बहाने प्रकृति ने गुनगुनाना शुरू कर दिया। दोपहर बाद तक जब-जब चिडिय़ा चहचहाईं, कानों में मानो रस घुल गया। पर्यावरण परिवर्तन के खतरों से जूझ रही दुनिया के लिए यह संकेत है कि हम चाहें तो लुप्त होती प्राकृतिक विरासतों को बचा सकते हैं। वाहनों की रेलमपेल नहीं थी, इसलिए खुले आसमान के नीचे प्रदूषण का स्तर भी न्यूनतम था। वाहनों और आबादी का शोर भी नहीं था। यही वजह है कि पक्षियों ने दिनभर निर्बाध उड़ान भरी। यह ऐसी उपलब्धियां हैं जनता कर्फ्यू की जिनके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नहीं सोचा होगा। साथ ही संदेश भी कि हम नियमित अंतराल पर इसी तरह स्व पर नियंत्रण रखें तो परिवार के ज्यादा करीब बने रहेंगे। प्रकृति के बिगड़ते संतुलन को साधने के लिए गंभीर प्रयास करें तो पर्यावरण परिवर्तन के खतरों को न्यूनतम कर सकते हैं। पक्षियों को एक दिन खुला आसमान दें तो हमारी आने वाली पीढिय़ां लुप्त होते पक्षियों की पूरी बिरादरी को साकार देख सकेगी। बस एक कोशिश करनी होगी…। साथ ही कोरोना के खिलाफ जंग अभी मुकाम तक नहीं पहुंची है। इस टैम्पो को बनाए रखना है, जिससे कि हम तीसरे चरण में नुकसान को कम से कम करने में सफल हो पाएं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो