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‘एनडीए के लिए बोफोर्स साबित होगा रफाल’

locationसूरतPublished: Sep 05, 2018 11:06:22 pm

रफाल मुद्दे पर पूर्व केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी ने लगाए एनडीए सरकार पर गंभीर आरोप, कहा-केंद्र में सिर्फ मोदी ही मंत्री बाकी सब उनके असिस्टेंट

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‘एनडीए के लिए बोफोर्स साबित होगा रफाल’

सूरत. पूर्व केंद्रीय मंत्री एस जयपाल रेडडी ने कहा कि रफाल सौदा एनडीए सरकार के लिए बोफोर्स साबित हो सकता है। यह बोफोर्स से भी बड़ा मामला है। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार 2019 में रिपीट नहीं होगी।
रफाल एयरक्राफ्ट सौदे को लेकर लगातार हमलावर हो रही कांग्रेस ने इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए बुधवार को सूरत में भी एनडीए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. जयपाल रेड्डी बुधवार सुबह सूरत आए और संवाददाताओं से मुखाबित हुए। रफाल सौदे पर चर्चा करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि रफाल एयरक्राफ्ट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति अनिल अंबानी के बीच एक अंडरस्टैंडिंग बनी, जिससे करीब 19 हजार करोड़ रुपए का सौदा 60 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया। रफाल को रक्षा से जुड़ा सबसे बड़ा घोटाला बताते हुए रेडडी ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि यह मुददा लोगों को समझ आने लगा है। बोफोर्स की तरह यह भी सरकार परिवर्तन का वायस बन सकता है।
ध्यान रहे कि वर्ष 1986 में हुए बोफोर्स सौदे में दलाली का आरोप सामने आने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार में केंद्रीय मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। सिंह के नेतृत्व में इस मामले को लेकर बने जनमोर्चा की मुहिम देशभर में चली और राजीव सरकार को अगले चुनाव में शिकस्त झेलनी पड़ी थी। रेड्डी ने पत्रिका से बातचीत में माना कि रफाल भी बोफोर्स की तरह सत्ता परिवर्तन की वजह बनेगा और 2019 में एनडीए सरकार रिपीट नहीं होगी। इस मामले को लेकर अदालत में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम कानून की अदालत नहीं जनता की अदालत में मामले को लेकर जा रहे हैं।
रफाल सौदे से जुड़ी जानकारियां साझा करते हुए उन्होंने कहा कि इस सौदे के दो दिन पहले यानि आठ अप्रेल 2015 को भारत के विदेश सचिव ने साफ किया था भारत के प्रधानमंत्री और फ्रांस के राष्ट्रपति के बीच बैठक में रफाल सौदे पर कोई चर्चा नहीं होगी। उन्होंने कहा था कि एचएएल और द सॉल्ट के बीच करार के लिए बातचीत जारी है। साफ है कि विदेश सचिव को इस सौदे पर चर्चा और हस्ताक्षर की कोई जानकारी नहीं थी। तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर को भी इस सौदे की कोई जानकारी नहीं थी।
रिलायंस के अनिल अंबानी पर निशाना साधते हुए कहा कि अंबानी कारोबारी हैं और उनके हित कारोबार से जुड़े होंगे। इस समझौते पर हस्ताक्षर से 12 दिन पहले अंबानी ने अपनी कंपनी का पंजीकरण करवाया था। साफ है कि रफाल सौदे पर हस्ताक्षर से पहले अनिल अंबानी को इसकी जानकारी थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि यूपीए की तुलना में एनडीए सरकार ने करीब 41 हजार करोड़ रुपए ज्यादा देकर 36 रफाल विमान खरीदे हैं। उन्होंने अंबानी की कंपनी को एक लाख रुपए के लाइफ साइकल कॉस्ट कांट्रेक्ट पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सीधे तौर पर यह सौदा भारत को 1.60 लाख करोड़ रुपए का पड़ा है।
उन्होंने साफ किया कि एयरक्राफ्ट की गुणवत्ता पर कोई संदेह नहीं है। सवाल इसकी कीमत को लेकर है और एचआइएल की जगह करार अंबानी की कंपनी के साथ होने की वजह पर है। उन्होंने इस सौदे में खामियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बताते हुए कहा कि जरूरत 126 एयरक्राफ्ट की है, जबकि खरीदे जा रहे हैं केवल 36। ऐसे में 90 एयरक्राफ्ट्स की कमी को मोदी सरकार कैसे पूरा करेगी।
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