सूरत

मधुबन से छोड़ा 75 हजार क्यूसेक पानी

दादरा नगर हवेली में दो दिन से मेघ मेहरबान

सूरतJul 19, 2021 / 09:03 pm

Gyan Prakash Sharma

मधुबन से छोड़ा 75 हजार क्यूसेक पानी

सिलवासा. दादरा नगर हवेली में दो दिन से मेघ मेहरबान बने हुए हैं। नासिक की सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में भारी बारिश के कारण दो दिन में दुधनी (मधुबन) जलाशय के जलस्तर में तीन मीटर की वृद्धि दर्ज की गई हैं। डेम में जलस्तर नियंत्रण बनाए रखने के लिए सोमवार को पांच गेट खोलकर 75 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे दमणगंगा नदी लबालब बहने लगी है। डेम में एक लाख 60 हजार क्यूसेक की दर से पानी संग्रहित हो रहा है। दो दिन में डेम का जलस्तर 69 मीटर से बढ़कर 72. 15 मीटर ऊंचाई तक पहुंच गया है। पूर्ववत योजना के तहत 20 जुलाई तक डेम का जलस्तर 71.23 मीटर रखना है। गेट खोले जाने के करीब करीब पांच घंटे बाद डेम का लेवल घटकर नियंत्रण में बताया जा रहा है। सत्र में पहली बार डेम के 5 दरवाजे तीन मीटर ऊँचाई तक खोले गए हैं।
मौसम खुशनुमा


बारिश ने मौसम खुशनुमा कर पिछले कई दिनों से पड़ रही गर्मी पर लगाम लगा दिया। घरों में चाय-पकौड़े बनना शुरू हो गया। लोग दिन में गाडिय़ां उठाकर परिवार के साथ नक्षत्र गार्डन, लवाछा रामेश्वर मंदिर, बिन्द्राबीन व खानवेल के पर्यटन स्थलों पर घूमने निकल पड़े। दो दिन से हो रही बारिश से आम जनमानस को जहां भीषण गर्मी से राहत मिली है, वही फसलों के फायदे से किसान भी खुश हैं। जिले में सोमवार को पूरे दिन कभी हल्की, कभी झमाझम बारिश हुई। बीच बीच में मूसलाधार बरसात होने से दमण गंगा के किनारे बसे निचले स्थनों में जलभराव की समस्या उत्पन्न हो गई है।
बाढ़ नियंत्रण केन्द्र के अनुसार पिछले 24 घंटों में सिलवासा में 68.2 एमएम व खानवेल में 181.6 एमएम बारिश हुई। समाचार लिखे जाने तक कुल मिलाकर सिलवासा में 760 व खानवेल में 880 एमएम बरसात हो चुकी है। मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 घंटे में भारी बारिश की संभावना है। दूरवर्ती क्षेत्र खानवेल, आंबोली, मांदोनी, दूधनी, कौंचा, बेड़पा, सिंदोनी, खेरड़ी में भी जमकर मेघ बरसे। बारिश के कारण खानवेल विस्तार में बहने वाली डुंगरी व साकरतोड़ नदियां किनारों से सटकर बहने लगी है। मैदानी क्षेत्र मसाट, रखोली, दपाड़ा, सुरंगी, आंबोली विस्तार के तराई वाले खेत जल प्लवित हो गए हैं। पहाड़ी क्षेत्रों के चेकडेम उफनकर बह रहे हैं। खानवेल चौड़ा में दो फीट ऊंचाई की चादर चल रही है। बारिश होने से धान के लिए सिंचाई की जरूरत पूरी हो गई है। किसान खेतों में धान रोपण करने लगे हैं।

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