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रक्षाबंधन विशेष : सूरत के सवाणी भाइयों की तीन हजार बहनें

locationसूरतPublished: Aug 27, 2018 08:41:25 pm

– खून का नहीं, यह बंधन तो मानवता का बंधन है..-संबंध धागा बांधने तक सीमित नहीं, परिवार के हर सुख-दु:ख में सहयोगी

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रक्षाबंधन विशेष : सूरत के सवाणी भाइयों की तीन हजार बहनें

सूरत.

रक्षाबंधन पर कई लोगों की कलाइयों पर एक से ज्यादा राखियां देखने को मिलती हैं, लेकिन सूरत के छह सवाणी भाइयों की कलाइयों पर हजारों राखियां होती हैं। राखी बांधने वाली युवतियां सवाणी भाइयों की सगी बहने नहीं हैं, फिर भी इनमें सगे भाई-बहनों से ज्यादा प्रेम है। युवतियां दूर-दूर से इन भाइयों को राखी बांधने आती हैं। इनमें एचआइवी ग्रस्त युवतियां भी शामिल हैं, जिनका परिवार उनसे कभी-कभार ही मिलने आता है। सवाणी भाई इन राखी बहनों के हर सुख-दु:ख में सहयोगी हैं। सभी एक छत के नीच इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं।
महेश सवाणी पिता विहीन युवतियों के पालक के रूप में पहचाने जाते हैं। उन्होंने हजारों युवतियों की शादी करवाई है। पिता के तौर पर वह बेटियों के ससुराल के हर विशेष कार्य में उपस्थित रहते हैं। सवाणी परिवार के छह लड़के मितुल, मोहित, मोनार्क, स्नेह, कुंज और आशीष भाई के तौर पर सभी युवतियों के सुख-दु:ख में सहयोगी बनते हैं। इन छह भाइयों की तीन हजार से अधिक बहनें हैं, जो हर साल इन्हें राखी बांधती हंै। इन बहनों की शादी गुजरात के दूर-दूर के क्षेत्रों में हुई है। राखी पर सभी इन छह भाइयों को राखी बांधने सूरत आती हैं। सवाणी परिवार की ओर से जननी धाम भी चलाया जाता है। इनमें एचआइवी पीडि़त युवतियों की देखभाल की जाती है। जननी धाम में रहने वाली युवतियों के परिजन यदा-कदा ही इनसे मिलने आते हैं। सवाणी भाई हर त्योहार, खासकर राखी इनके साथ मनाते हैं। राखी बहार से नहीं खरीदी जाती। जननीधाम की युवतियों इन भाइयों के लिए अपने हाथों से राखी बनाती हैं।
दिल से निभाते हैं रिश्ता
सभी भाई दिल से रिश्ता निभाते हैं। राखी ही नहीं, हर त्योहार पर हमें याद करते हैं। मकर संक्राति, होली, दीपावली पर भेंट भेजते हैं। सगे परिवार से बढ़कर ध्यान देते हैं।
विश्वा वामजा
सगे भाई से बढ़कर
सभी छह भाई सगे भाइओं के बढ़कर हैं। खून का रिश्ता न होने के बावजूद सगे भाई से अधिक प्यार दिया है।
मितुला सवाणी

पराए नहीं लगते
राखी का यह त्योहार इन भाइयों के साथ मनाने में काफी मजा आता है। इन भाइयों ने कभी महसूस नहीं होने दिया कि हम पराए हैं। सभी बहनों के साथ दिल से रिश्ता निभाते हैं।
जागृति राठौड़
अटूट बंधन
रक्षाबंधन धूमधाम से मनाया जाता है। हजारों बहनें साथ होती हैं। यह भाई सभी बहनों का ध्यान रखते हैं। इनसे अटूट बंधन बन गया है।
पूजा दयाणी

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