सूरत में कोरोना विस्फोट के बाद मनपा के रिकार्ड पर बुधवार को 1424 पॉजिटिव केस मिले और 24 मरीजों की मौत हुई है। इसके बावजूद राज्य सरकार द्वारा कोरोना मरीजों के लिए महत्वपूर्ण रेमडेसिविर इंजेक्शन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं की जा रही है। पिछले पन्द्रह दिनों से कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के पास रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी देखने को मिल रही है। सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने सूरत जिला कलेक्टर डॉ. धवल पटेल को पिछले तीन दिनों में टुकड़े-टुकड़े में इंजेक्शन उपलब्ध करवा रही है। 12 अप्रेल को 3000, 13 और 14 अप्रेल को 2500-2500 इंजेक्शन सूरत भेजे गए। जबकि निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या को देखते हुए आपूर्ति अपर्याप्त है। न्यू सिविल अस्पताल में देर रात और सुबह से ही कोरोना मरीजों के परिजनों की लम्बी कतार लग जाती है।
बुधवार को भी परिजनों की लम्बी कतार ओल्ड बिल्डिंग के मेनगेट से शुरू हुई और ट्रॉमा सेंटर और बाद में रेडियोलॉजी विभाग के गेट तक पहुंच गई थी। तीन-चार घंटे से भी अधिक देर तक कतार में खड़े रहने के बाद बुधवार शाम को अचानक परिजनों को इंजेक्शन का स्टॉक खत्म होने की जानकारी देकर काउंटर बंद कर दिए गए। इसके बाद परिजनों ने मेनगेट पर ही हंगामा करना शुरू कर दिया। परिजनों ने कहा कि दोपहर से लाइन में खड़े है और जब नम्बर आया तो बोलते है कि स्टॉक खत्म हो गया। परिजनों ने अपने-अपने मरीज की हालत गंभीर बताते हुए इंजेक्शन देने की मांग की। कई लोग सिक्यूरिटी गार्ड से भिड़ गए। हंगामा बढऩे पर पुलिस को सूचना दी गई।
पुलिस कर्मियों ने परिजनों को समझा कर घर जाने के लिए कह दिया। इसके बाद परिजनों को अगले दिन स्टॉक आने और फिर से लम्बी कतार से गुजरने के लिए मानसिक रूप से तैयार होने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था। गौरतलब है कि, राज्य सरकार इंस्टॉलमेंट में इंजेक्शन की आपूर्ति कर रही है। लेकिन गंभीर मरीजों की संख्या इतनी अधिक है कि पन्द्रह दिन बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों है।
इंजेक्शन की कालाबाजारी का आरोप निजी अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों के लिए न्यू सिविल अस्पताल से सरकारी रेट पर भाव टू भाव रेमडेसिविर दिए जा रहे हैं। लेकिन इतने दिन बाद भी अस्पतालों और मेडिकल स्टोर में इंजेक्शन उपलब्ध नहीं होने से सरकार की मंशा पर सवाल खड़े होने लगे है। परिजनों ने न्यू सिविल अस्पताल में हंगामा मचाते हुए सरकार और उनके लोगों पर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने का आरोप लगाया है। कुछ परिजनों ने बताया कि कुछ अधिकारी अपने परिचितों को दूसरे गेट से काउंटर तक ले जाकर इंजेक्शन दिलवा देते हैं। जबकि लाइन में खड़े लोगों को शाम होने पर स्टॉक नहीं, कहकर लौटा दिया जाता है। निजी मेडिकल स्टोर में भी इंजेक्शन नहीं मिलने से मरीजों की हालत दयनीय हो गई है।