बलात्कार के आरोपियों पर कोई दया नहीं होनी चाहिए, लेकिन यह न्यायिक प्रक्रिया के तहत होना चाहिए। चारों आरोपियों का एनकाउन्टर का दावा पुलिस कर रही है, लेकिन उसके दावे को लेकर संदेह भी हो रहा है। एनकाउन्टर पर लोग यह सोचकर खुश हो रहे हैं कि आरोपियों को सजा मिल गई और घटना के बाद उपजा आक्रोश भी कम हो गया है। लेकिन शासन को यह व्यवस्था करनी चाहिए कि ऐसे मामलों की जांच निर्धारित समय और प्रक्रिया के तहत कर दोषी को कड़ी सजा जल्द मिल सके। निर्भया कांड के आरोपियों को अभी तक सजा न मिलने पर लोग जितना मुखर होकर आक्रोश व्यक्त करते हैं, उतना विरोध रेप के उन मामलों को लेकर नहीं करते हैं जिसमें कोई नेता, मंत्री या बड़ा अधिकारी आरोपी हो। ऐसे में सिर्फ पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाने से पहले समाज को खुद भी चिंतन मनन करना होगा।
बलात्कार के आरोपी कई साल तक खुलेआम घूमते रहते हैं या बरी हो जाते हैं। जबकि पीडि़ता घटना के बाद से मुकदमे के चलने व उसके बाद भी पूरी उम्र इसकी पीड़ा झेलती रहती है। इस घटना में चारों आरोपियों का एनकाउन्टर चाहे जिस परिस्थिति में हुआ हो, लेकिन पीडि़ता को त्वरित न्याय मिला है। न्याय में देरी होना, जनता को अपने तरीके से फैसला करने के लिए उकसाना ही माना जाएगा। हालांकि जहां तक मेरा सोचना है, रेप के आरोपियों को फांसी देने की बजाय ऐसी सजा होनी चाहिए जिसका दर्द वह पूरी जिंदगी महसूस करे और रोजाना अपनी गलती को महसूस करे। तब जाकर कोई दूसरा किसी भी महिला के साथ ऐसी घिनौनी हरकत बारे में सोचने से भी डरेगा। रेप के सभी मामलों में बिना पक्षपात के लोगों का विरोध मुखर होना चाहिए लेकिन कई मामलों मे ऐसा नहीं हो पाता। इसलिए सरकारों को रेप जैसी घटना की त्वरित जांच और निर्धारित समय में फैसले का कानून बनाना चाहिए। परिवार और समाज को भी ऐसे आरोपियों के बहिष्कार की भावना होनी चाहिए।
रीमा कालानी, सामाजिक कार्यकर्ता, मुस्कान संस्था।
हैदराबाद की घटना के चारों आरोपियों की एनकाउन्टर में मौत के बाद पीडि़ता को न्याय मिला है। इस घटना के वाद विवाद से कोई लेना नहीं है, लेकिन दुष्कर्म के हर आरोपी को जल्द से जल्द मौत की सजा मिलेगी तभी ऐसी घटनाओं पर रोक लगेगी। रेप के बाद पीडि़ता को ही दोषी ठहराने की लोगों का मानसिकता भी इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। जरूरत है ऐसे कठोर कानून की है जो बलात्कार के आरोपी को कम से कम दिन में सजा दिला सके। नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब भीड़ ही आरोपियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने लगेगी। निर्भया कांड के आरोपी कई साल बाद भी सजा से दूर हैं। ऐसे में सामान्य लोगों का न्याय पर से भरोसा टूटना लाजिमी है।
गरिमा, कॉलेज छात्रा
बलात्कारियों को त्वरित और निर्मम सजा ही महिलाओं के प्रति होने वाली इस तरह की घटनाओं को रोक पाएगी। हैदराबाद में वेटरनरी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के आरोपियों का एनकाउन्टर होने के बाद जिस तरह से देश में लोग खुश हो रहे हैं, वह कहीं न कहीं न्याय व्यवस्था पर लोगों की सोच को भी दिखाता है। निर्भया कांड के बाद देश भर में हुए विरोध और गुस्से के कारण कानून सख्त बनाने का दावा किया गया था। लेकिन आज भी उसके आरोपी सजा से बचे हुए हैं। ऐसे में इस घटना के चारों आरोपियों की मौत कहीं न कहीं पीडि़ता की आत्मा और उसके परिजनों को सुकून दे रही है। वहीं, यह भी सही है कि किसी भी आरोपी को सजा न्यायिक प्रक्रिया के तहत मिलनी चाहिए। इस तरह के मामले में कम समय में जांच पूरी करने और सजा देने का नियम बनाना चाहिए। सजा भी ऐसी हो जिससे दूसरे भी सबक लें और किसी महिला के साथ ऐसा करने से पहले सौ बार सोचें एवं डरें। परिवार को भी लडक़ों को महिलाओं के प्रति आदर सम्मान करने की सीख बचपन से देनी चाहिए। सरकार और समाज दोनों स्तर पर प्रयास करने से महिलाओं के प्रति अपराधों में कमी आएगी।
बृजेश, कॉलेज छात्र
दरअसल पुलिस और प्रशासन की जांच को लेकर लोगों में भरोसा कम हो रहा है। समय पर पुलिस की जांच पूरी न होने और उसके बाद ऐन केन प्रकारेण से आरोपी को सजा में देरी का फायदा बलात्कार के आरोपी उठाकर बच जाते हैं। समाज भी आरोपी की बजाय पीडि़ता और उसके परिवार का बहिष्कार करता है। चारों आरोपियों की एनकाउन्टर में मौत के बाद लोगों में खुशी तो है, लेकिन हर मामले में ऐसा नहीं हो सकता। न्यायिक प्रक्रिया में सुधार और पुलिस जांच की प्रणाली को चुस्त करने की जरूरत है। कई सांसद और विधायक भी रेप के आरोपी हैं। ऐसे लोगों पर इस तरह की कार्रवाई कभी नहीं होगी। नेताओं के विरोध में लोग बंट जाते हैं। जरूरत तो है कि रसूखदार आरोपियों को कड़ी सजा देकर समाज में उदाहरण प्रस्तुत किया जाए। तब जाकर लोग डरेंगे।
संजय सिंह, व्यवसायी