न्यू सिविल अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक, 35 वर्षीय व्यक्ति को रविवार सुबह में तेज दर्द शुरू हो गया। वह कुछ समझ नहीं पा रहा था कि आखिरकार उसे क्या हुआ है। वह न्यू सिविल अस्पताल आ गया। ट्रॉमा सेंटर में प्राथमिक उपचार के बाद सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने उसे भर्ती कर लिया। उसकी जांच में पेनाइल फैक्चर की पुष्टि हुई। इसके बाद यूरोलॉजी डॉ. नील पटेल ने सर्जरी का निर्णय किया। चिकित्सकों ने बताया कि रक्त की गांठ को दूर करने और टांके लेकर ऑपरेशन किया जाता है। दो-तीन साल में एक-दो केस ही सामने आते हैं। ऐसे मामलों में ऑपरेशन नहीं किया जाए तो मरीज की तकलीफ बढ़ सकती है और दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं।
दूसरी तरफ, शहर के यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुबोध काम्बले ने बताया कि हड्डी नहीं होती है लेकिन सच है कि टूटने जैसी समस्या देखने को मिलती है। इसे मेडिकल साइंस की भाषा में पेनाइल फैक्चर कहते हैं। उन्होंने बताया कि फैक्चर रेयर कंडिशन है। जिस तरह हड्डी टूटने का दर्द होता है उसी तरह से पेनाइल फैक्चर का दर्द होता है।
डॉ. सुबोध ने बताया कि शिथिल में पेनाइल फैक्चर की संभावना बहुत कम होती है। जब इरेक्ट को उसकी विपरित दिशा में मोड़ते हैं या उसके कुछ जबर्दस्ती का प्रयोग करते हैं, तब यह स्थिति आती है। ऑपरेशन से यह फैक्चर को ठीक किया जा सकता है। ऑपरेशन के दौरान मूत्रनली को नुकसान नहीं हो इसका खास ध्यान रखना होता है।