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…इसलिए बढ़ाया था कर

locationसूरतPublished: Feb 07, 2018 11:36:24 am

अगले दो साल बढ़ेगा राजस्व घाटा

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सूरत. बजट चर्चा के दौरान कांग्रेस के हंगामे के बाद मनपा प्रशासन ने साफ कर दिया कि यदि कर दर नहीं बढ़ाई गई तो विकास की रफ्तार पर लगाम कसनी पड़ेगी। आने वाले दो साल मनपा के लिए वित्तीय मुश्किल बढ़ाने वाले हैं। अभी से प्रयास नहीं हुए तो राजस्व घाटा पाटना मुश्किल हो जाएगा। गौरतलब है कि पांच साल के कार्यकाल में बोर्ड को दो बार ही कर की दरों में वृद्धि का अवसर मिलता है।

आयुक्त एम. थेन्नारसन ने मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि जैसे हालात हैं और बजट घाटा पाटना मुश्किल हो रहा है, आने वाला वक्त मुश्किल बढ़ाने वाला है। मनपा प्रशासन के लिए राजस्व आय और खर्च में भारी अंतर है। आने वाले दिनों में मनपा पर सातवें वेतन आयोग का बोझ भी पडऩे वाला है, जिसकी व्यवस्था अभी से करनी होगी। इसके अलावा वर्ष 2018 और 2019 में हर साल करीब 12 सौ कर्मचारी सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। उनके सेवा निवृत्ति लाभ के लिए हर साल अतिरिक्त करीब पांच सौ करोड़ रुपए की जरूरत होगी। साथ ही मनपा को हर साल प्रशासनिक खर्च के मद में 1650 करोड़ रुपए, शिक्षण समिति के लिए 130 करोड़ रुपए, विभिन्न प्रोजेक्ट्स के ऑपरेशन एंड मेंटिनेंस के लिए 800 करोड़ रुपए का खर्च भी वहन करना पड़ता है। कर की दर बढ़ाए बगैर इन खर्चों को वहन कर पाना संभव नहीं दिखता।

पांच साल में दो बार ही मिलता है मौका


जानकारों के मुताबिक पांच साल के कार्यकाल में बोर्ड को दो बार ही कर की दरों में वृद्धि का अवसर मिलता है। लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों के कारण राजनीतिक दबाव में मनपा प्रशासन कर वृद्धि के नए प्रस्ताव बजट में शामिल नहीं कर पाता। यही वजह है कि राजस्व घाटे को पाटने के लिए मनपा प्रशासन को उन वर्षों का इंतजार रहता है, जब किसी तरह के चुनाव से नहीं गुजरना हो।
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