जॉब चार्ज बढ़ाने के फैसले का विरोध
प्रोसेसर्स के खिलाफ एंटी प्रोफिटिंग कमेटी से शिकायत करेगा फोस्टा

सूरत.
साउथ गुजरात टैक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के सदस्यों ने पिछले दिनों मीटिंग कर 21 मई से जॉब चार्ज बढ़ाने का फैसला किया था। प्रोसेसर्स की ओर से सामूहिक तौर पर किए गए इस फैसले का व्यापारी विरोध कर रहे हैं। फोस्टा का कहना है कि प्रोसेसर्स जीएसटी का रिफंड मिलने के बाद भी इसे पास-ऑन नहीं कर रहे हैं। इसके खिलाफ वह एजेंसियों को पत्र लिखकर जांच की मांग करेंगे।
फोस्टा की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रोसेसर्स के फैसले के खिलाफ बुधवार को फोस्टा के सदस्यों की मीटिंग हुई। इसमें बताया गया कि जीएसटी लागू होने के बाद प्रोसेसर्स को सरकार पांच प्रतिशत अतिरिक्त फायदा दे रही है। इस लाभ को व्यापारियों तक पास-ऑन करने के बजाय प्रोसेसर्स मुनाफाखोरी कर रहे हैं। प्रोसेसर्स कच्चे माल की कीमत बढऩे का हवाला देकर दाम बढ़ाने की बात कर रहे हैं। सरकार की ओर से हाल ही प्रोसेसर्स को 350 करोड़ रुपए का रिफंड दिया गया है। एक ओर प्रोसेसर्स सरकार से रिफंड ले रहे हैं और दूसरी ओर व्यापारी को कोई लाभ नहीं दे रहे हैं, बल्कि जॉब चार्ज बढ़ाने की बात कर रहे हैं। यह गलत है। इसके खिलाफ फोस्टा एंटी प्रोफिटिंग कमेटी और कम्पटीशन कमेटी ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग करेगा। फोस्टा ने कहा कि तब तक व्यापारी प्रोसेसर्स से मिलकर जॉब चार्ज तय करें।
इपीसीजी योजना का लाभ लेने वाले घटे
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) पर अमल के बाद इपीसीजी योजना का लाभ लेने वाले उद्यमियों की संख्या घट गई है। पहले डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ फोरेन ट्रेड के कार्यालय में प्रतिदिन 25 अर्जियां आती थीं, जो अब घटकर 3-4 रह गई हैं।
केन्द्र सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स (इपीसीजी) नाम की योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत मशीन आयात करने वाले उद्यमी को कस्टम ड्यूूटी नहीं चुकानी पड़ती थी। इसके एवज में सात साल मशीन से उत्पादन कर विदेश में निर्यात करना होता था। जीएसटी के बाद परिस्थति बदल गई है। यदि स्थानीय उद्यमी विदेश से मशीन आयात करता है तो उसे कस्टम ड्यूटी से छूट मिलती है, लेकिन यदि वह भारत में ही किसी मैन्युफैक्चर्स से मशीन खरीदता है तो उसे पहले 18 प्रतिशत जीएसटी चुकाना होगा, जो बाद में उसे मिल जाएगा। ऐसे में उद्यमियों की टैक्स क्रेडिट कई बार इस्तेमाल नहीं होने के कारण उद्यमी इपीसीजी स्कीम से दूर हो रहे हैं। इसके अलावा मंदी के कारण मशीनों का आयात भी कम हुआ है।
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