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भवन-उपाश्रय में प्रवचन का दौर

locationसूरतPublished: Sep 08, 2018 09:38:19 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

पर्युषण महापर्व

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भवन-उपाश्रय में प्रवचन का दौर

सूरत. शहर के विभिन्न उपाश्रय, भवन, वाड़ी समेत अन्य स्थलों पर इन दिनों पर्युषण महापर्व मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में सिटीलाइट के तेरापंथ भवन में साध्वी सरस्वती के सान्निध्य में शनिवार को स्वाध्याय दिवस मनाया गया।
इसमें साध्वी ने धर्मसंघ को नंदनवन बताते हुए कहा कि धर्मसंघ के प्रति श्रावकों को अटूट आस्था रखनी चाहिए। किसी प्रकार की उदासी आ जाए उसका आचार्यों के चरणों में समाधान करना चाहिए। साध्वी संवेगप्रभा ने स्वाध्याय को मन का मेल धोने वाली मिट्टी बताया। साध्वी मृदुलाकुमारी ने भी स्वाध्याय दिवस पर कहा कि जैन धर्म को समझने के लिए दिमाग की नही दिल की आवश्यकता है। इस अवसर पर तेरापंथ युवक परिषद, सूरत की दो पुस्तकों का विमोचन किया गया।
कामरेज के तेरापंथ भवन में मुनि संजयकुमार ने जैनागम आचरांग सूत्र की व्याख्या की और भगवान महावीर स्वामी के 27 भव के बारे में जानकारी दी। मुनि प्रसन्नकुमार ने बताया कि स्वयं की खोज के साथ स्वाध्याय का जन्म होता है। स्वाध्याय वह दर्पण है, जिसमें अपने रूप को देखकर उसे संवारने की व्यवस्था की जा सकती है। स्वाध्याय पांच प्रकार के होते हैं। इसमें वाचना, पृच्छना, परिवर्तना, अनुप्रेक्षा व धर्मकथा शामिल है।
परवत पाटिया के तेरापंथ भवन में साध्वी ललितप्रभा ने बताया कि चातुर्मासिक चतुर्दशी का बड़ा महत्व है। भगवान महावीर के पास सबसे बड़ा हथियार सम्यकत्व था। भगवान को इसी भव में सम्यक दृष्टि का ज्ञान हुआ। साध्वी दिव्ययशा ने बताया कि प्रज्ञा के विशिष्ट जागरण के लिए स्वाध्याय को समझकर प्रतिदिन 10 से 30 मिनट स्वाध्याय करना चाहिए।

मन को रखें नियंत्रित


उधना के महावीर भवन में पर्युषण पर्व के तीसरे दिन अंतगड सूत्र के आठवें अध्याय का वाचन करते हुए साध्वी सुलक्षणा ने शनिवार सुबह प्रवचन में गजसुकामल के जीवन के बारे में बताया। वहीं, साध्वी डॉ. सुलोचना ने प्रभु महावीर ने कठिन परिस्थिति में अपने मन को नियंत्रित रखने के बारे में विस्तार से बताया। साध्वी कंचनकुंवर ने पर्युषण पर्व का महत्व बताया। यह जानकारी संघ के सहमंत्री व प्रवक्ता एडवोकेट देवेंद्र बोकाडिया ने दी है।

पाप का प्रायश्चित जरूरी


पांडेसरा शीतलनाथ जैन संघ में पर्युषण महापर्व के तीसरे दिन साध्वी रक्षितरेखाश्री ने शनिवार सुबह प्रवचन में बताया कि इस भव में पाप करने के बाद जो गुरु के समक्ष प्रायश्चित नहीं करते उन्हें सीता, अंजना, रुकमणि के समान कष्ट भुगतने पड़ते है। इसलिए जरूरी है कि पाप का प्रायश्चित होना चाहिए और तीर्थंकरों ने भी इसे जीवन में महत्वपूर्ण माना है।

कल्पसूत्र का वाचन आज से


रांदेर रोड जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ उपाश्रय में प्रवर्तक ज्ञानरश्मि विजय महाराज के सान्निध्य में पर्युषण पर्व पर प्रवचन जारी है। शनिवार को प्रवचन में ग्यारह कर्तव्यों का वर्णन किया व कल्पसूत्र की बोली लगाई गई। रविवार से कल्पसूत्र का वाचन होगा।

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