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RTE : आरटीइ के फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच करने की मांग

locationसूरतPublished: May 21, 2018 09:20:30 pm

दो हजार से अधिक प्रवेश पत्रों में प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए
कलक्टर को ज्ञापन सौंपा

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RTE : आरटीइ के फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच करने की मांग

सूरत.

राइट टु एज्युकेशन के अंतर्गत प्रवेश के लिए मिले फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच की मांग उठी है। नगर प्राथमिक शिक्षा समिति सदस्य सुरेश सुहागिया ने इस बारे में कलक्टर को ज्ञापन सौंपा है।
सूरत कॉर्पोरेशन में आरटीइ के अंतर्गत प्रवेश के लिए जमा हुए आवेदन में से दो हजार से अधिक प्रवेश पत्रों में प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। इन आवेदनों को रद्द कर दिया गया है। ज्यादातर आय के प्रमाणपत्र फर्जी मिले हैं। पार्षद असलम साइकिलवाला ने फर्जी प्रमाणपत्रों वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। फर्जी प्रमाणपत्र बनाने वाले टाउट को पकडऩे की मांग भी की गई है। दूसरी ओर नगर प्राथमिक शिक्षा समिति के सदस्य सुरेश सुहागिया ने फर्जी प्रमाणपत्र वाले अभिभावकों के लिए दूसरा प्रवेश राउंड आयोजित करेने की मांग की है। जिन्होंने अभिभावकों को फर्जी प्रमाणपत्र बनाकर दिए हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए उन्होंने कलक्टर को ज्ञापन सौंपा है। हाल ही कलक्टर डॉ. धवल पटेल की अध्यक्षता में कलक्टर कार्यालय में हुई संकलन बैठक में आधार कार्ड, जाति और आय के प्रमाणपत्र, बिजली-पानी के मुद्दों के साथ आरटीइ प्रवेश पर भी चर्चा की गई। इसमें आरटीइ के अंतर्गत गरीब और मध्यम वर्ग के विद्यार्थियों को स्कूलों में प्रवेश दिलाने पर जोर दिया गया। विद्यार्थियों को पास के ही स्कूलों में प्रवेश देने की मांग की गई।

कॉलेजों में अधिक सीटों पर प्रवेश देने की मांग
वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के सिंडीकेट सदस्य भावेश रबारी ने अनुदानित लॉ महाविद्यालयों में प्रवेश सीटें बढ़ाने की मांग की है। इस संदर्भ में उन्होंने कुलपति को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में बताया गया है कि स्वनिर्भर लॉ महाविद्यालयों की फीस करीब 40 हजार रुपए है। अनुदानित लॉ महाविद्यालयों में गरीब और मध्यम वर्ग के विद्यार्थियों को प्रवेश लेने में परेशानी होती है। विद्यार्थियों को कामरेज, नवसारी और भरुच जाना पड़ता है। अनुदानित महाविद्यालय दूर होने के कारण कई विद्यार्थी पढ़ाई छोड़ देते हैं। इसलिए सूरत के अनुदानित लॉ महाविद्यालय में 150 सीटों पर प्रवेश देने की मांग की गई है।
शिक्षामंत्री से मांग
आर्किटेक्चर के विद्यार्थियों ने राज्य के शिक्षामंत्री को पत्र लिखा है। इसमें बताया गया कि गुजरात टेक्नोलोजिकल यूनिवर्सिटी की ओर से परीक्षा के दौरान बैकलॉग के चक्कर में विद्यार्थियों को डिटेन किया जा रहा है। एक साल के बैकलॉग नियम के कारण सैकड़ों विद्यार्थियों को परीक्षा देने का अवसर नहीं मिल रहा है। शिक्षामंत्री से इस नियम में बदलाव करने की मांग की गई है।

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