नानी बाई के घर से निमंत्रण आने के बाद नृसिंह ने अपने भाइयों से मदद मांगी थी। किसी प्रकार की मदद न मिलने पर नृसिंह टूटी गाड़ी लेकर नानी बाई के घर के लिए प्रस्थान किया। रास्ते में गाड़ी खराब हो जाने पर भक्त नृसिंह मेहता की पुकार सुन खाती बनकर उनकी टूटी हुई बैलगाड़ी ठीक करने आये। भगवान सारथी के रुप में नरसी के साथ रहे। नानी बाई के गांव पहुंचने पर गरीब होने से गांव के बाहर ही एक छोटे से घर में नरसी के रहने की व्यवस्था की थी।
पिता के आने की जानकारी होते ही नानी बाई पहुंचती और शादी के बाद पहली बार पिता को देख हर्षित होती है। सुसराल वालों की ताने के बीच मायरो भरने को लेकर नरसी कहते हैं, …आसी.आसी.आसी..मोरो भरोसो सांवरो आसी.. भजनों पर खचाखच भरे पंडाल में भक्त झूमने लगे। यानी मेरा विश्वास है कि सांवरा मायरो भरने जरुर आएंगे। भक्त के बुलावे पर भगवान न आये, ऐसा हो ही नही सकता। भगवान राधा-रुक्मिणी के साथ आये और नानी बाई का 56 करोड़ का मायरा भरा। इस दरम्यान खाटु नरेश के जयकारों से पूरा पंडाल गूंज उठा। इसके साथ ही …भर दे मायरो सांवरिया नानी बाई को… जैसे भजनों एवं कोलकाता के प्रख्यात कलाकारों द्वारा जीवंत प्रस्तुति से पंडाल में चारों ओर श्रद्घालु झूमते दिखे। इसके साथ ही तीन दिवसीय नानी बाई रो मायरो का विराम हो गया।
मंडल के अध्यक्ष शिव प्रसाद पोद्दार ने बताया कि कथा का आयोजन नारायण सेवा संस्थान के सहायतार्थ किया गया है। कार्यक्रम से पूर्व कठपुतली नृत्य हुआ। जिसका श्रद्धालुओं ने आनंद लिया। वहीं संस्थापक अध्यक्ष पूर्णमल अग्रवाल द्वारा व्यापीठ पीठ पर विराजित जयाकिशोरी मुख्य अतिथि गोविन्दजी सरावगी, ललिता कमल सर्राफ एवं अनिल रुंगटा का स्वागत किया गया।
भ्रूण हत्या सबसे बड़ी पाप
जया किशोरी ने कहा कि बेटा होने पर जश्न मनाओ, लेकिन बेटी होने पर शोक मत मनाओ। बेटी नहीं रहेगी तो बहु कहां से लाओगे? बेटियों को कोख में मारना बहुत बड़ा पाप है। भगवान बहुत विचार कर संतान देते हैं। दोनों संतान बेटा-बेटी एक समान हैं। भगवान जो दे उसे प्रसाद समझकर लो। बेटी को शिक्षा-सुसंस्कार देकर अपने पैरों पर खड़ा करो। जब बेटी अपने पैरों पर रहेगी तो अन्याय नहीं सहेगी।