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खास है ये आम, जीआई टैग से बढ़ेगी विदेशी डिमांड

locationसूरतPublished: Jun 19, 2021 06:50:01 pm

Submitted by:

deepak deewan

उल्लेखनीय है कि जी आई का प्रमाणपत्र एक भौगोलिक कृषि उत्पादन एवं कुदरती वस्तु दर्शाने वाला विशेष प्रमाणपत्र है। इसके लिए क्षेत्र के विधायकों व मंत्री से मिलकर सरकार तक मांग पहुंचाई जा रही है।

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वापी. महाराष्ट्र के रत्नागिरी हापुस आम का वहां के किसानों ने जीआई टैग प्राप्त कर लिया है। इससे प्रेरित होकर वलसाड के आम उत्पादकों में भी जीआई टैग लेने की कोशिशों ने जोर पकड़ा है। यहां के आम को जीआई टैग मिलने पर उसकी बिक्री में किसानों को बहुत लाभ होगा।
वलसाड में भी हापुस का उत्पादन किया जाता है जोकि अपनी मिठास के लिए देशविदेश में खासा प्रसिद्ध है। जागरूक किसान व पूर्व भाजपा जिला प्रमुख नगीन पटेल के अनुसार जीआई टैग मिलने पर किसानों को खासा लाभ होगा। इसके लिए चार साल से प्रयास किए जा रहे हैं।
आम के बड़े व्यापारी धर्मेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि आम के सीजन में वलसाडी हापुस की मांग बहुत रहती है। जीआई टैग से देश विदेश में इसका अच्छा दाम मिलेगा। एक अन्य किसान विपुल शाह ने बताया कि महाराष्ट्र के रत्नागिरी, कोंकण, देवगढ़ के किसानों ने अपने यहां होने वाले हापुस आम का जीआई टैग लिया है।
मिठास और डिमांड की तुलना में वहां के आम वलसाड के हापुस की बराबरी नहीं कर सकते। इसलिए जीआई टैग न मिलने पर सीधा नुकसान दक्षिण गुजरात के किसानों को होगा। उमरगाम तालुका के किसान केतन नंदवाना ने बताया कि जीआई टैग न मिलने के कारण वलसाडी हापुस आम के हापुस न होने का भी भ्रम फैल रहा है।
जीआई टैग मिलने के बाद वलसाड के हापुस आम को अलग पहचान मिलेगी। वलसाड जिले में करीब दो सौ करोड़ का आम उत्पादन होता है जिसमें 80 प्रतिशत हिस्सा हापुस का होता है। उल्लेखनीय है कि जी आई का प्रमाणपत्र एक भौगोलिक कृषि उत्पादन एवं कुदरती वस्तु दर्शाने वाला विशेष प्रमाणपत्र है। इसके लिए क्षेत्र के विधायकों व मंत्री से मिलकर सरकार तक मांग पहुंचाई जा रही है।
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