आगजनी नियंत्रण के लिए कन्ट्रोल रूम कार्यरत
दमण. दीपावली पर आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने कन्ट्रोल रूम बनाया है। उपकलक्टर हरमिन्दर ङ्क्षसह ने बताया कि इसके लिए जिला कलक्टर भवन में कन्ट्रोल रूम बनाया है। यह कन्ट्रोल रूम 5 से 9 नवम्बर तक 24 घण्टे कार्यरत रहेगा। आगजनी के समय कन्ट्रोल रूम नंबर 0260-2231377 पर संपर्क किया जा सकता है।
दमण. दीपावली पर आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने कन्ट्रोल रूम बनाया है। उपकलक्टर हरमिन्दर ङ्क्षसह ने बताया कि इसके लिए जिला कलक्टर भवन में कन्ट्रोल रूम बनाया है। यह कन्ट्रोल रूम 5 से 9 नवम्बर तक 24 घण्टे कार्यरत रहेगा। आगजनी के समय कन्ट्रोल रूम नंबर 0260-2231377 पर संपर्क किया जा सकता है।
पटाखों पर असमंजस बरकरार
सिलवासा. सुप्रीम कोर्ट ने दीपावली पर सिर्फ ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति दी है। इसे लेकर व्यापारी और डीलर असमंजस में हैं। ग्रीन पटाखों के बारे में किसी को जानकारी नहीं है। हालांकि व्यापारियों ने परंपरागत पटाखों की स्टॉल्स सजा ली हैं। कोर्ट ने बेरियम, एल्यूमीनियम कण वाले पटाखों पर रोक लगा दी है। एम्यूमीनियम से से चमक दिखती है तथा तारकोल जलाने से धुआं निकलता है। इससे पर्यावरण दूषित होता है।
ग्रीन पटाखों के बारे में प्रशासन औैर पुलिस की ओर से भी स्पष्ट निर्देश नहीं हैं। यह परम्परागत पटाखों से किस प्रकार भिन्न हैं, यह सवाल विक्रेताओं को परेशान कर रहा है। ग्रीन पटाखें जलाने से सल्फर और नाइट्रोजन कम निकलती है। ग्रीन पटाखे जलने पर पानी पैदा करते हैं। इनमें हानिकारक गैसें कम तथा जलने पर खूशबू निकलती है। बताया जाता है कि ग्रीन पटाखों के बुलेट बम, सिंगल क्रेकर्स, डबल, त्रिपल एवं सेवन-अप शॉट, किट-कट, फ्लोवर स्पॉट, कोटि, चक्कर, ट्विंकल स्टार, पोप इन पोप, बिग स्नेक, रोलकेप, लक्ष्मी बम, बर्ड क्रेकर्स, ब्लैक सेरसीट्स आदि डिजाइनें कंपनियां निकाल चुकी हैं।
दीपोत्सव नजदीक आते ही शहर में जगह-जगह पटाखों की दुकानें सजने लगी हैं। नरोली रोड, टोकरखाड़ा, झंडा चौक सचिवालय रोड किनारे पटाखों की स्टॉल सज गई हैं। पंचायत मार्केट के पास सबसे अधिक दुकानें खुली हैं। इन दुकानों पर परम्परागत पटाखे दिख रहे हैं।
सिलवासा. सुप्रीम कोर्ट ने दीपावली पर सिर्फ ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति दी है। इसे लेकर व्यापारी और डीलर असमंजस में हैं। ग्रीन पटाखों के बारे में किसी को जानकारी नहीं है। हालांकि व्यापारियों ने परंपरागत पटाखों की स्टॉल्स सजा ली हैं। कोर्ट ने बेरियम, एल्यूमीनियम कण वाले पटाखों पर रोक लगा दी है। एम्यूमीनियम से से चमक दिखती है तथा तारकोल जलाने से धुआं निकलता है। इससे पर्यावरण दूषित होता है।
ग्रीन पटाखों के बारे में प्रशासन औैर पुलिस की ओर से भी स्पष्ट निर्देश नहीं हैं। यह परम्परागत पटाखों से किस प्रकार भिन्न हैं, यह सवाल विक्रेताओं को परेशान कर रहा है। ग्रीन पटाखें जलाने से सल्फर और नाइट्रोजन कम निकलती है। ग्रीन पटाखे जलने पर पानी पैदा करते हैं। इनमें हानिकारक गैसें कम तथा जलने पर खूशबू निकलती है। बताया जाता है कि ग्रीन पटाखों के बुलेट बम, सिंगल क्रेकर्स, डबल, त्रिपल एवं सेवन-अप शॉट, किट-कट, फ्लोवर स्पॉट, कोटि, चक्कर, ट्विंकल स्टार, पोप इन पोप, बिग स्नेक, रोलकेप, लक्ष्मी बम, बर्ड क्रेकर्स, ब्लैक सेरसीट्स आदि डिजाइनें कंपनियां निकाल चुकी हैं।
दीपोत्सव नजदीक आते ही शहर में जगह-जगह पटाखों की दुकानें सजने लगी हैं। नरोली रोड, टोकरखाड़ा, झंडा चौक सचिवालय रोड किनारे पटाखों की स्टॉल सज गई हैं। पंचायत मार्केट के पास सबसे अधिक दुकानें खुली हैं। इन दुकानों पर परम्परागत पटाखे दिख रहे हैं।