scriptमिठाइयों की जांच के लिए सैम्पल लिए | Samples to check for sweets | Patrika News

मिठाइयों की जांच के लिए सैम्पल लिए

locationसूरतPublished: Oct 31, 2018 11:22:25 pm

Submitted by:

Sunil Mishra

पिछले वर्ष मिठाई का कोई भी सैम्पल फेल नहीं हुआ था

patrika

मिठाइयों की जांच के लिए सैम्पल लिए


दमण. स्वास्थ्य विभाग ने दीपावली पर मिठाइयों की गुणवत्ता के लिए जांच शुरूकी है। खाद्य निरीक्षक दीपक टंडेल ने टीम बनाकर मिठाइयों की दुकानों और निर्माण स्थलों पर जाकर जांच शुरू की है। बुधवार को झापाबार रोड स्थित मिठाई की दुकानों से सैम्पल एकत्र किए गए। टंडेल ने बताया कि दीपावली पर विशेष जांच की जाती है। दमण में 10 से 15 मुख्य प्रतिष्ठान हैं, वहां से सैम्पल लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष मिठाई का कोई भी सैम्पल फेल नहीं हुआ था। फूड लाइसेंस नहीं होने पर 4 लोगों पर जुर्माना किया गया था। दमण से एकत्र सैम्पल जांच के लिए वड़ोदरा, पुणे सहित अन्य शहरों में भेजा जाता है, जहां से 5 से 7 दिनों में रिपोर्ट आती है। इसके बाद देशी घी और अन्य वस्तुओं की भी जांच की जाएगी।
मोबाइल लैब का उपयोग होगा
खाद्य निरीक्षक दीपक टंडेल ने बताया कि दादरा नगर हवेली और दमण के लिए संयुक्त रूप से मोबाइल लैब है। लैब में जांच कर मिठाइयों की गुणवत्ता के बारे में पता लगा सकते हैं। इस मोबाइल लैब का भी उपयोग किया जाएगा।
आगजनी नियंत्रण के लिए कन्ट्रोल रूम कार्यरत
दमण. दीपावली पर आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने कन्ट्रोल रूम बनाया है। उपकलक्टर हरमिन्दर ङ्क्षसह ने बताया कि इसके लिए जिला कलक्टर भवन में कन्ट्रोल रूम बनाया है। यह कन्ट्रोल रूम 5 से 9 नवम्बर तक 24 घण्टे कार्यरत रहेगा। आगजनी के समय कन्ट्रोल रूम नंबर 0260-2231377 पर संपर्क किया जा सकता है।
patrika
पटाखों पर असमंजस बरकरार
सिलवासा. सुप्रीम कोर्ट ने दीपावली पर सिर्फ ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति दी है। इसे लेकर व्यापारी और डीलर असमंजस में हैं। ग्रीन पटाखों के बारे में किसी को जानकारी नहीं है। हालांकि व्यापारियों ने परंपरागत पटाखों की स्टॉल्स सजा ली हैं। कोर्ट ने बेरियम, एल्यूमीनियम कण वाले पटाखों पर रोक लगा दी है। एम्यूमीनियम से से चमक दिखती है तथा तारकोल जलाने से धुआं निकलता है। इससे पर्यावरण दूषित होता है।
ग्रीन पटाखों के बारे में प्रशासन औैर पुलिस की ओर से भी स्पष्ट निर्देश नहीं हैं। यह परम्परागत पटाखों से किस प्रकार भिन्न हैं, यह सवाल विक्रेताओं को परेशान कर रहा है। ग्रीन पटाखें जलाने से सल्फर और नाइट्रोजन कम निकलती है। ग्रीन पटाखे जलने पर पानी पैदा करते हैं। इनमें हानिकारक गैसें कम तथा जलने पर खूशबू निकलती है। बताया जाता है कि ग्रीन पटाखों के बुलेट बम, सिंगल क्रेकर्स, डबल, त्रिपल एवं सेवन-अप शॉट, किट-कट, फ्लोवर स्पॉट, कोटि, चक्कर, ट्विंकल स्टार, पोप इन पोप, बिग स्नेक, रोलकेप, लक्ष्मी बम, बर्ड क्रेकर्स, ब्लैक सेरसीट्स आदि डिजाइनें कंपनियां निकाल चुकी हैं।
दीपोत्सव नजदीक आते ही शहर में जगह-जगह पटाखों की दुकानें सजने लगी हैं। नरोली रोड, टोकरखाड़ा, झंडा चौक सचिवालय रोड किनारे पटाखों की स्टॉल सज गई हैं। पंचायत मार्केट के पास सबसे अधिक दुकानें खुली हैं। इन दुकानों पर परम्परागत पटाखे दिख रहे हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो