सूरत. कोरोना लॉकडाउन के बाद का परिदृश्य शहर के टैक्सटाइल उद्योग के लिए खासा चुनौतीपूर्ण साबित होने जा रहा है। बढ़ी हुई प्रोडक्शन कॉस्ट प्रोसेसर और वीवरों के लिए हालात को लगातार मुश्किल कर रही है। उधर लागत का असर आम आदमी पर भी पडऩा तय है। साडिय़ों और ड्रेस मटीरियल में पांच से 15 फीसदी तक का इजाफा देखने को मिल सकता है।
केंद्र सरकार अनलॉक 4.0 की तैयारी कर रही है और अर्थव्यवस्था अनलॉक 1.0 के बाद से ही पटरी पर लौटती नहीं दिख रही। खासकर टैक्सटाइल उद्योग में पोस्ट लॉकडाउन का असर हर स्तर पर देखने को मिल रहा है। श्रमिकों के अभाव में उद्योग पूरी क्षमता के साथ नहीं चल रहे और उद्यमियों को ऑपरेटिंग खर्च का भार वहन करना पड़ रहा है। उड़ीसा से श्रमिकों के नहीं आने के कारण शहर की वीविंग इंडस्ट्री लगभग चरमरा गई है, तो बिहार से एक ही ट्रेन चलने के कारण श्रमिकों के आने की कमजोर रफ्तार ने प्रोसेस उद्योग को मुश्किल में डाल रखा है। इस बीच यार्न के बढ़े दामों ने कपड़े के पूरे प्रोसेस को महंगा कर दिया है। इस बीच हालांकि बाजार में व्यापारियों को ओवर प्रोडक्शन की मुश्किल से निजात मिली है। जानकारों के मुताबिक आगामी दिनों में जैसे ही स्थितियां सामान्य होंगी, बाजार एक बार फिर ओवर प्रोडक्शन की समस्या से जूझने लगेगा।
इस तरह पड़ा असर
अनलॉक 2.0 के बाद से यार्न के दामों में दस रुपए तक का इजाफा हो चुका है। इसका असर वीविंग इंडस्ट्री पर पड़ा और अलग-अलग क्वालिटियों में ग्रे एक से ढाई रुपए तक महंगा हो गया। छह मीटर की साड़ी के कच्चे माल पर सीधी-सीधी 15 रुपए की चोट पड़ी। अन्य खर्चों को मिलाकर एक साड़ी तैयार होने तक औसतन 20 से 25 रुपए तक महंगी हो गई।प्रोसेसर बड़े घाटे में
इस पूरे सिनेरियो में प्रोसस उद्यमियों को बड़ा झटका लगा है। प्रोसेस इकाइयों का ब्रेक ईवन प्वाइंट लगातार 24 घंटे चलने और 90 फीसदी क्षमता से काम करने पर आता है। प्रोसेसर विनोद अग्रवाल ने बताया कि फिलहाल इकाइयां 50 से 60 फीसदी की क्षमता से चल रही हैं। लॉकडाउन में श्रमिकों के गांव चले जाने के बाद उन्हें वापस लाना भी चुनौती था। शहर छोड़कर गए श्रमिकों को बढ़े वेतन पर वापस लाया गया है। इसका खर्च भी प्रोसेस उद्यमियों पर पड़ेगा। बाजार में बने रहने के लिए उन्हें घाटे में भी अपने उद्योग चलाने पड़ रहे हैं।बाजार में खड़े रहने की चुनौती
कोरोना के बाद हमारे समक्ष बाजार में बने रहने की चुनौती है। कुछ लोगों के लाभ का मार्जिन कम हो गया है तो कई लोगों को नुकसान में काम करना पड़ रहा है। काम नहीं करेंगे तो दौड़ से बाहर हो जाएंगे। जो उद्योग अपनी क्षमता के साथ नहीं चल रहा वह पूंजीगत नुकसान है।नारायण अग्रवाल, प्रफुल्ल साड़ी, सूरत
ऑपरेटिंग खर्च भी बढ़े
लॉकडाउन के बाद उद्योग तो शुरू हुए लेकिन ऑपरेटिंग खर्च बढ़ गए हैं। इसका सीधा असर लागत पर पड़ा है। हर स्तर पर अलग-अलग काम के साथ 15 से 25 फीसदी तक लागत बढ़ गई है। धीरे-धीरे स्थितियों के सामान्य होने का इंतजार करना होगा।संजय सरावगी, लक्ष्मीपति साड़ी, सूरत