डभोली चार रास्ता की हरिदर्शन सोसायटी निवासी हीरा व्यापारी मेहूल इटालिया और हितेश लाखाणी के पास 8 सितम्बर को न्यू सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक से फोन आया और कहा गया कि अस्पताल में एक अज्ञात मरीज भर्ती है और उसे खून की जरूरत है। सूचना पर मेहूल और हितेश दोनों रक्तदान करने न्यू सिविल अस्पताल पहुंचे और रक्तदान किया। इसके बाद वे लोग वार्ड में भर्ती उस मरीज से मिले। यहां उन्होंने मरीज से पूछताछ की, लेकिन वह ठीक से बोल नहीं पा रहा था। पता चला कि 8 सितम्बर को वह सडक़ हादसे में घायल हो गया था और 108 एम्बुलेंस के कर्मी उसे सिविल अस्पताल ले आए थे। दोनों ने लावारिस मरीज का उसके परिजनों से मिलन करवाने का निर्णय किया। मरीज सिर्फ मनु डाह्या और इशिता यह दो ही शब्द बोल रहा था। मनु डाह्या का नाम सुनकर दोनों के लिए राह आसान हो गई। मेहूल ने बताया कि मनु डाह्या हीरा व्यवसाय में बड़ा नाम है और शायद यह मरीज इस हीरा व्यवसायी के आसपास रहता हो। दोनों दोस्त मरीज की तस्वीर लेकर मनु डाह्या के बंगले पर पहुंचे और उन्होंने उन्हें तस्वीर दिखाई, लेकिन उन्होंने पहचानने से इनकार कर दिया। इसके बाद उनकी नजर पास की ईश्वरकृपा सोसायटी पर पड़ी और मरीज के मुंह से निकला इशिता शब्द उन्हें याद आया। दोनों ने ईश्वरकृपा सोसायटी के सभी विभागों के सैंकड़ों मकानों में जाकर उस व्यक्ति की तस्वीर दिखाकर शिनाख्त करने का प्रयास किया। आखिर पांच घंटे बाद दोनों को अपनी मंजिल मिल गई। वह अस्पताल में लावारिस के तौर पर भर्ती उस मरीज के घर तक पहुंच गए। तस्वीर दिखाते ही परिजनों ने पहचान लिया और मरीज की पहचान सुखदेव दागोदरा के तौर पर की। इसके बाद मेहूल और हितेश सुखदेव की मां, पत्नी और पुत्रों को लेकर न्यू सिविल अस्पताल पहुंचे और सुखदेव का परिवार से मिलन करवाया।
हादसे से अनजान थे परिजन
मेहूल इटालिया ने बताया कि जब वह सुखदेव के घर पहुंचे और पूछताछ की तो परिजनों ने बताया कि वह बाहर गए हुए हैं। जब उन्हें सुखदेव के सडक़ हादसे में घायल होने और अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी दी तो वे चौंक गए। परिजनों से पूछा कि एक सप्ताह से लापता होने के बाद भी उन्होंने सुध क्यों नहीं ली, तो बताया कि सुखदेव मिस्त्री का काम करता है और अक्सर काम के कारण तीन चार दिन घर से बाहर रहता है। ऐसे में उन्हें लगा वह काम के कारण ही बाहर होगा।