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साहब गाड़ी-बंगला बाद में देखना, पहले उद्योग की हालत देख लो…

locationसूरतPublished: Jul 16, 2018 08:49:14 pm

Submitted by:

Pradeep Mishra

जीएसटी के उच्च अधिकारियों के समक्ष कपड़ा उद्यमियों ने व्यक्त किया दर्द

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साहब गाड़ी-बंगला बाद में देखना, पहले उद्योग की हालत देख लो…

सूरत.

जीएसटी के बाद से सूरत के कपड़ा उद्योग की हालत लगातार खराब होती जा रही है। लूम्स कारखाना संचालक मशीनें भंगार में बेच रहे हैं और छोटे व्यापारी दुकानें बंद कर रहे हैं। कपड़ा व्यापारियों का संगठन इस बारे में बार-बार शिकायत करने गांधीनगर और दिल्ली दौड़ रहा है, लेकिन अधिकारी कुछ उद्यमी और व्यापारियों की गाड़ी देखकर ही भ्रमित हो जाते हैं और उनसे तरह-तरह के सवाल पूछते हंैं। इस पर उद्यमियों में नाराजगी है और उन्होंने इस बारे में शिकायत की है।
सूरत के कपड़ा उद्यमियों ने अधिकारियों के इस रवैये के बारे में जीएसटी के उच्च अधिकारियों की शिकायत की है। कपड़ा उद्यमियों का एक संगठन कुछ दिनों पहले इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड और आइटीसी-04 रद्द करने सहित अन्य कई मांगों को लेकर गांधीनगर गया था। वहां कुछ अधिकारियों ने उद्यमियों की गाडिय़ों को निशाना बनाते हुए सूरत के कपड़ा उद्यमियों को रिफंड और राहत की क्या आवश्यकता है, ऐसे सवाल किए। इस पर उद्यमी निराश होकर लौट आए। इस बारे में दो दिन पहले सूरत में ओपन हाउस के पहले सूरत के गिने चुने बड़े उद्यमियों ने जीएसटी के उच्च अधिकारी पी.डी वाघेला तथा योगेन्द्र गर्ग के साथ आयोजित डिनर में उद्यमियों ने नाराजगी जताई और कपड़ा व्यापारियों के साथ हो रहे व्यवहार पर विरोध जताया। व्यापारियों ने कहा कि साहब गाड़ी, बंगला देखने से मन भर गया हो तो हमारी हालत भी देख लो। कुछ व्यापारियों का काम ठीक है मतलब सब सुखी हैं, ऐसा नहीं हैं। यदि आपको लगता है कि यहां के व्यापारियों के पास अच्छी गाडियां आ गई हैं तो सूरत में महंगी गाडिय़ां बंद करा दो और ऐसे यदि वह उद्यमी टैक्स नहीं भर रहा तो उसे भी सजा करो। वैसे भी व्यापार तो बंद ही हो रहा है। व्यापारियों मे रोष था। अंत में एक टैक्स कन्सल्टन्ट ने बात संभाली।
व्यापारियों ने अपना दुख व्यक्त करते हुए कहा कि आए दिनों दिल्ली के बड़े अधिकारी भी सूरत के कपड़ा उद्योग को लेकर टैक्स नहीं भरना चाह रहे, ऐसे बयान देते रहते हैं जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे कपड़ा उद्यमियों का मनोबल गिरता है।
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