scriptशिवलिंग भगवान शिव का निराकार स्वरूप | Shivaling formless form of Lord Shiva | Patrika News

शिवलिंग भगवान शिव का निराकार स्वरूप

locationसूरतPublished: Feb 15, 2018 06:27:26 pm

Submitted by:

Sunil Mishra

-सात दिवसीय शिवकथा की पूर्णाहुति-हजारों श्रद्धालुओं ने लिया महाप्रसाद का लाभ

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सिलवासा. बालाजी मंदिर में पिछले सात दिन से रही शिव कथा को विराम पुर्णाहुति दी। कथा विराम से पूर्व बटुकभाई व्यास ने शिव कथा के प्रसंग और दृष्टांत कहानियों का विस्तार से वर्णन किया। शिव महिम्न स्तोत्रम् पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि शिवलिंग भगवान शिव का निराकार स्वरूप है। शिवलिंग की पूजा से असीम पुण्य की प्राप्ति होती है। महादेव, ब्रह्मा व विष्णु कई तरह के सूक्ष्म शरीरधारी हैं। वे सारे कल्पों में विद्यमान रहते हैं। महादेव जगत कल्याण व बाधा हरण में सदैव तत्पर रहते हैं। शिवलिंग पर जल अभिषेक मात्र से ही प्राणी का कल्याण संभव है। पूर्णाहुति के अवसर पर शहर के अलावा ग्रामीण विस्तारों से भी श्रद्धालु पहुंचे। श्रद्धालुओं ने अंतिम दिन विश्व के सबसे ऊंचे शिवलिंग की पूजा और अभिषेक किया।
हजारों लोगों ने ग्रहण किया महाप्रसाद
महाशिवरात्रि के बाद जगह-जगह महाप्रसाद वितरण हुआ। दादरा सांई कॉम्प्लेक्स में करीब दो हजार श्रद्धालुओं ने महाप्रसाद का लाभ उठाया। बालाजी मंदिर में भगवान शिव को भोग लगाकर महाप्रसाद वितरित किया। अंतिम दिन पांच हजार से अधिक लोगों से महाप्रसाद ग्रहण किया।
ब्रह्माकुमारीज के नए भवन की रखी आधारशिला
सिलवासा. ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय ने नरोली में नए भवन की पहली ईंट रखी। आधारशिला कार्यक्रम में शाखा प्रभारी सुरेखाबेन, नरोली सरपंच प्रीतिबेन दोडिय़ा, उपसरपंच निलेश सिंह सोलंकी, ब्रह्मा कुमारीज इन्दू माताजी सहित बीके की बहनों ने हिस्सा लिया। सिलवासा में भवन के बाद ब्रह्माकुमारीज का यह दूसरा बड़ा भवन होगा। इसमें राजयोग, सत्संग, ध्यान , प्रार्थना और सभा के अलग-अलग कक्ष बनाए जाएंगे। सुरेखाबेन ने बताया कि परमपिता परमात्मा प्राप्ति व सुख शांति के लिए राजयोग की शिक्षा आवश्यक है। राजयोग से मन को शांति मिलती है। जीवन का असली आनंद प्राप्त होता है। प्रदेश में ब्रह्माकुमारीज के सदस्यों की संख्या बढ़ी है। शाखा ने शहर के अलावा गांवों में राजयोग केन्द्र खोले हैं। इन केन्द्रों के विस्तारीकरण की योजना चल रही है। नरोली में ब्रह्माकुमारीज का भवन बनने के बाद अथाल, खरड़पाड़ा, भिलाड़ तथा आसपास के श्रद्धालुओं को लाभ मिलेगा।
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