तडकेश्वर महादेव में सोए हैं स्वयंभू शिवलिंग
शिवरात्रि पर दर्शन का है विशेष महत्व

वलसाड. वलसाड ओवरब्रिज के पास स्थित तडकेश्वर महादेव मंदिर का शिवभक्तों में विशेष स्थान है। मंदिर के ऊपर कई बार छत बनाई गई लेकिन हर बार टूट गई। इससे बिना छत के ही भगवान महादेव विराजमान हैं। मनोकामना पूर्ण होने के विश्वास के साथ हजारों श्रद्धालु आते हैं।
शिवरात्रि पर तडक़ेश्वर महादेव मंदिर का विशेष महत्व रहता है। यहां पर शिवलिंग सोए हुए स्वरुप में है। बताया गया कि वर्ष 1215 में भगवान शिव स्वयंभू प्रकट हुए हैं। कहा जाता है कि विधर्मियों ने जब शिवलिंग ले जाने की कोशिश की तो शिवलिंग के पास पत्थरों से जहरीले भंवर निकले और शिवलिंग ले जाने की कोशिश कर रहे करीब 60 लोगों को डंक मारा था। उन सभी लोगों की मौत शिवलिंग के 1500 फीट के दायरे में हो गई थी। उन 60 लोगों की याद में दरगाह भी बनाई गई थी, जो आज भी शिवलिंग के कुछ दूरी पर सांढपोर की दरगाह के नाम से विद्यमान है।
कहा जाता है कि इस शिवलिंग को नदी किनारे से उठाकर स्थापित करने का स्वप्न एक भक्त को आया था। उसने शिवलिंग उठाया तो हल्का था और ले जाते समय अचानक एक जगह पर भारी हो गया और वहीं उसकी स्थापना की गई। बाद में शिवलिंग पर मंदिर बनाया गया। कई बार छत का काम किया गया, लेकिन हर बार छत गिर जाती थी। इससे मंदिर का नाम तडकेश्वर महादेव मंदिर रखा गया। आज भी लोग तडक़ेश्वर महादेव मंदिर के लिए दूर-दूर से आते हैं। यहां पर सावन में पूरे महीने मेला का आयोजन होता है।
शिवरात्रि पर एक दिन का मेला लगता है। मंदिर के ट्रस्टियों ने बताया कि यहां श्रद्धालु आते हैं और अपनी मन्नत मांग कर जाते हैं। उसके पूरा होने के बाद फिर से श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आते हैं। तडकेश्वर महादेव मंदिर के लिए लोगों में श्रद्धा बढ़ती जा रही है।
हर शिवरात्रि को वलसाड के गोडई स्थित गंगाजी के किनारे पर भी मेला लगता है। यहां आज भी गंगाजी पहाड़ पर स्थित गोमुख से बहती है। उदवाड़ा के पलसाणा में भी शिवरात्रि के मेले का आयोजन होता है और छह दिनों तक चलता है। आसपास के लोग इस मेले में सस्ती खरीदी के लिए आते हैं और नदी किनारे शिवरात्रि मेले का आनंद भी लेते हैं।
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