सूरत सूरत आयकर विभाग ने चार बार नोटिस देने के बाद भी आयकर विभाग में उपस्थित नहीं होने वाले और विभाग को आवश्यक जानकारी नहीं देने वाले पांच सौ से अधिक करदाताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। हालांकि इसमें कुछ ऐसे करदाता भी शामिल हैं जिन्होंने ऑनलाइन जवाब दे दिए हैं। वहीं, विभाग के सिस्टम में नहीं दिखने के कारण अधिकारियों ने उन्हें भी नोटिस दे दिया है। आयकर अधिकारी इन दिनों वित्त वर्ष 2016-17 के स्क्रूटनी और छह वर्ष पहले के रिओपन हुए मामलों को निपटाने में व्यस्त हैं। सूरत कमिश्नरेट में वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 2000 से अधिक केस चयनित हुए थे। इन्हें निपटाने की अंतिम तिथि दिसंबर तक की है। आयकर अधिकारियों ने इन मामलों को निपटाने की शुरुआत कर दी है। जिन मामलों में करदाताओं को बार-बार नोटिस देने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला ऐसे मामलों में विभाग ने आयकर के सेक्शन 144 के तहत शो-कॉज भेज दिया है। ऐसे मामलों में विभाग के पास करदाता की ओर से कोई दस्तावेज नहीं मिलने के कारण टैक्स का आकलन एकतरफा हो जाता है। उल्लेखनीय है कि सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स ने वर्तमान वित्तीय वर्ष से स्क्रूटनी के मामलों में ऑनलाइन नोटिस भेजने और उसका जवाब भी ऑनलाइन ही देने का नियम लागू किया है। इस नियम ने आयकर अधिकारियों और करदाताओं की समस्या बढ़ा दी है, क्योंकि सिस्टम धीमा चलता है। कई बार एक नोटिस भेजने के लिए भी घंटों इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा करदाता यदि उस पर जवाब भेजना चाहे तो भी जानकारी अपलोड करने के लिए बहुत समय लगता है। करदाताओं का कहना है कि वह जवाब भेज देते हैं तब भी अधिकारियों के सिस्टम पर नहीं दिखता। कई मामले तो ऐसे भी हैं जिनमें कि करदाताओं ने ऑनलाइन जवाब तो दे दिया है लेकिन अधिकारियों को जवाब नहीं मिलने पर नोटिस भेज दिए गए हैं। शुरुआती समस्या है नियम नया होने के कारण यह समस्या है, धीरे-धीरे सुलझ जाएगी। कुछ मामलों में करदाताओं ने जो जवाब दिए हैं वह नहीं दिख रहे। ऐसे मामले में करदाताओं को सब्मिट की हुई कॉपी आयकर अधिकारी को दिखानी होगी। प्रज्ञेश जगाशेठ, सीए