श्रावण कृष्ण प्रतिपदा से शहर में बसे उत्तर भारतीय श्रद्धालुओं ने शिव आराधना शुरू कर दी थी। इस बीच शिवालयों में जलाभिषेक के अलावा रुद्राभिषेक, सहस्रघट, कांवड़ यात्रा जैसे कई धार्मिक कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू किया गया। शिवभक्ति की लहरों में स्थानीय (गुजराती) श्रद्धालु भी श्रावण शुक्ल प्रतिपदा रविवार से गोते लगाने लगेंगे। इससे शहर के सभी क्षेत्रों के शिवालयों में लोगों की चहल-पहल बढ़ जाएगी।
शहर में कतारगांव के कंतारेश्वर महादेव मंदिर, उमरा के रामनाथ घेला महादेव मंदिर, वराछा के सिद्धकुटीर के अलावा करीब 30 किमी दूर ओलपाड के निकट सिद्धनाथ महादेव मंदिर सहित अन्य प्राचीन शिवालयों में भक्ति और आस्था के संगम की विशेष रोनक रहेगी। इस दौरान इन सभी शिवालयों सहित अन्य मंदिर प्रांगण में सामूहिक रूप से रुद्राभिषेक, सहस्रघट, शिव महिम्न स्त्रोत, रुद्री पाठ आदि के धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।
हरियाली अमावस का लगा मेला
हरियाली अमावस का लगा मेला
श्रावणी अमावस्या के मौके पर शनिवार को शहर के रांदेर व सगरामपुरा क्षेत्र में दिवासो मेले का आयोजन किया गया। वहीं, दस दिवसीय दशा मां की पूजा-आराधना का दौर माता की प्रतिमा स्थापना के साथ किया गया। हरियाली अमावस्या के मौके पर रांदेर में रांदल मां की यात्रा भी निकाली गई। श्रावण अमावस्या से दस दिवसीय दशा माता व्रत-आराधना के आयोजन बड़े पैमाने पर शुरू हो गए है। शुक्रवार देर रात दशा माता की प्रतिमा बाजे-गाजे के साथ श्रद्धालु पंडाल की ओर ले गए। प्रतिमा ले जाने का दौर शनिवार को भी रात में देर तक चलता रहा। पंडाल में प्रतिमा स्थापना के बाद श्रद्धालु नियमित व्रत रखकर सुबह पूजा, दोपहर-शाम को कथा श्रवण के बाद रात्रि में गरबा खेलकर माता की भक्ति करेगी। वहीं, श्रावण अमावस्या शनिवार से दीपावली के एक सौ दिन शेष रहने पर शनिवार को दिवासो कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। इस दौरान रांदेर में रांदल माता की शोभायात्रा निकाली गई वहीं, सगरामपुरा में हनुमान मंदिर के सामने परम्परागत मेले का आयोजन किया गया।