SILWASA NEWS: सैलानियों से आबाद होने लगा सिलवासा
-कोरोना पाबंदियां हटते ही
सूरत
Published: April 09, 2022 07:35:14 pm
सिलवासा. जिला प्रशासन ने कोरोना गाइडलाइन के सभी प्रतिबंध हटा लिए हैं। पाबंदिया हटते ही पर्यटन केन्द्रों पर भीड़ होने लगी है। गुजरात एवं महाराष्ट्र से निजी बसों से बड़ी संख्या में लोग पर्यटन स्थलों पर आ रहे हैं। चालू माह में दपाड़ा हिरण्य अभयारण्य, वासोणा लॉयन सफारी, खानवेल बटरफ्लाई, दुधनी जेटी, हिरवावान व दादरा गार्डन में रौनक आ गई हैं। दपाड़ा सतमालिया में रोजाना सैकड़ो पर्यटक आ रहे हैं। शराबबंदी नहीं होने से जिले में सैलानियों की संख्या बढऩे का मुख्य कारण माना जा रहा है।
महाराष्ट्र में कोरोना का ग्राफ कम होने से अप्रैल में पर्यटकों की एकाएक वृद्धि हुई है। पर्यटन अधिकारियों के अनुसार दादरा उद्यान, नक्षत्र गार्डन, पिपरिया हिरवावान, बिन्द्राबीन और खानवेल बटरफ्लाई पर्यटकों के पसंदीदा केन्द्र बने हुए हैं। यहां मुंबई, सूरत सहित देशभर से मेहमान आ रहे हैं। वैसे तो सभी पर्यटन स्थलों पर लोगों की भीड़ बढ़ी हैं, लेकिन गर्मी में दुधनी जेटी, दादरा गार्डन, सतमालिया अभ्यारण्य, खानवेल परिचय केन्द्र में सैलानियों का अच्छा प्रतिसाद मिला है। सतमालिया अभ्यारण्य के सघन वृक्षों के बीच विचरण करते हुए सैलानियों का आनंद दोगुना हो जाता है। पर्यटन विभाग ने सतमालिया के घने जंगल में पशु-पक्षी, पेड़-पौधें, तालाब, झरने, पर्वत, वनस्पतियां, जीव-जंतु आदि की अनुभूति कराने के लिए नेचर ट्रेल (प्राकृतिक मार्ग) निर्मित किया हैं। यहां भ्रमण करते समय सैलानी हिरण, सांभर, चौसिंगा, बारहसिंगा, नील गाय, खरगोश आदि प्राणियों से सीधे रूबरू हो जाते हैं। नेचर ट्रेल जंगल मेें उगे पेड़-पौधें, वनस्पतियां, कीट-पतंगें, नदी-नाले, पहाड़ी क्षेत्र के मांसाहारी व शाकाहारी वन्य प्राणियों के आवास स्थल, बहते झरने, डेम, नहरें, चट्टानें के बीच से निकाले गए हैं। इन रास्तों पर वनस्पतियों की विविधता देखने को मिलती है। होली के बाद दादरा उद्यान व खानवेल परिचय केन्द्र व बटरफ्लाई उद्यान पर्यटकों से गुलजार होने लगे थे। बटर फ्लाई की प्रकृति के साथ घनिष्ठता, रंग-बिरंगी तितलियां,आकर्षित करने वाली फूलवारी, लम्बी-लम्बी क्यारियां, रात्रिचर गृह, सुन्दर उद्यान, ग्रीन हाऊस, फूलों की सैकड़ो प्रजातियों वाला यह गार्डन पर्यटकों को खूब रास आ रहा है। साकरतोड़ के किनारे बने इस उद्यान में देशभर में पाई जाने वाली 70 से अधिक तितलियों की प्रजातियां निवास करती हैं।

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