मरम्मत के अभाव में शहर की कई इमारतें जर्जर हो रही हैं। राज्य सरकार की एजेंसियां और स्थानीय प्रशासन भी इन्हें लेकर लापरवाह हैं। वर्षों पहले बनी तिथल रोड स्थित गुजरात हाउसिंग बोर्ड की बिल्डिंगों का भी कमोबेश यही हाल है।
जर्जर हो चुकी इन इमारतों के बीच रह रहे लोगों की जान हमेशा हथेली पर रहती है। अधिकारियों की लापरवाही के बीच लोग खतरों से जूझ रहे है। यहां रह रहे लोगों का कहना है कि अधिकारियों को किसी बड़े हादसे का इंतजार है। उसके बाद ही अधिकारी जागेंगे अौिर जर्जर इमारतों के दिन फिरेंगे।
शुक्रवार को 18 नंबर की बिल्डिंग के कमरा नंबर 336 में रहने वाले नारायण भाई दोपहर के समय घर में टेलरिंग का काम कर रहे थे और परिवार के लोग सो रहे थे। उसी समय अचानक तेज आवाज हुई तो लोग जाग गए और पूरा परिवार घर से बाहर आ गया। उनके बाहर निकलते ही छत का स्लैब ढह गया। घर में कोई नहीं था, इसलिए जानहानि नहीं हुई। नारायण ने बताया कि वह बीते पांच वर्ष से यहां रह रहा है। स्लैब गिरने से पहले तेज आवाज नहीं हुई होती तो किसी सदस्य का बचना मुश्किल था।
डरे-सहमे लोगों में बेचैनी हादसे के बाद आसपास ही नहीं हाउसिंग बोर्ड की अन्य बिल्डिंगों में रह रहे लोग मौके पर जमा हो गए। जिस तरह से स्लैब गिरा उसे लेकर जमा हुए लोगों में बेचैनी साफ दिख रही थी। जर्जन बिल्डिगों में रह रहे लोग अपनी सुरक्षा को लेकर डरे-सहमे थे और किसी तरह अपनी और परिवार की चिंता सता रही थी। लोगों को इस बात का मलाल था कि प्रशासन और अधिकारी-पदाधिकारियों के लिए उनकी जान की कीमत का कोई मोल नहीं।