देश में अमूमन हर साल कहीं न कहीं चुनाव होते ही रहते हैं। गुजरात में भी पांच साल में तीन बार प्रदेश चुनाव के दौर से गुजरता है। एक बार केंद्र सरकार तो एक बार राज्य सरकार को चुनने के लिए मतदान होता है। एक बार मतदाता लोकल सरकार चुनते हैं। इसका सीधा असर स्थानीय निकाय के बजट की प्लानिंग पर पड़ता है। 2019 में केंद्र की सरकार चुनने के बाद 2020 में सूरत के मतदाता अपनी लोकल सरकार चुनेंगे।
जानकारों के मुताबिक स्थानीय निकाय चुनावों से पहले आ रहे बजट पर चुनाव की छाया साफ दिखेगी। इस बार मनपा में सत्तापक्ष को क्योंकि लोगों के बीच जाकर अपने कामकाज पर वोट मांगना है, इसलिए चुनावी वर्ष के बजट में कई डिस्प्ले प्रोजेक्ट्स भी शामिल किए जा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों को भी इसके संकेत दे दिए गए हैं, कि अपने विभागों से ऐसे बजट प्रस्ताव जरूर शामिल किए जाएं, जिनका दूरगामी असर सूरत के आम आदमी पर पड़े और हर सूरती उन्हें अपने लिए जरूरी समझे।
आयुक्त ने 15 नवंबर तक मांगे प्रस्ताव मनपा आयुक्त बंछानिधि पाणि ने 15 नवंबर तक सभी अधिकारियों से बजट पर प्रस्ताव मांगे हैं। साथ ही अधिकारियों से चालू वित्त वर्ष को विभागवार रिवाइज करने के लिए भी कहा है। आयुक्त ने पहले 15 अक्टूबर तक बजट प्रस्ताव देने के लिए अधिकारियों को सर्कुलर जारी किया था, लेकिन उस वक्त तक किसी विभाग ने बजट प्रस्तावों पर काम नहीं किया था। इसके बाद आयुक्त ने अधिकारियों को नई तारीख दी थी। आमतौर पर आयुक्त जनवरी के पहले पखवाड़े में मीडिया के समक्ष बजट प्रस्ताव पेश कर देते हैं। इस बार बजट को लेकर पहली औपचारिक बैठक भी नहीं हुई है, जबकि बजट को अंतिम रूप देने के लिए करीब दो माह का ही वक्त शेष है।