मनपा प्रशासन ने भरसक प्रयास किए कि इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ा जाए। इसके लिए चरणवार प्रोजेक्ट पर काम की प्लानिंग कर ली गई थी। प्रोजेक्ट की डिजाइन और लेआउट के साथ मनपा प्रशासन ने कपड़ा बाजार के दुकानदारों के साथ बातचीत कर उन्हें प्रजेंटेशन भी दिखाया था और सुझाव मांगे थे। मनपा ने कपड़ा कारोबारियों की नियामक संस्था फोस्टा से भी इसके लिए सहयोग मांगा था। जैसे-जैसे अधिकारी इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़े, उन्हें लगने लगा कि स्काई वॉक आगे जाकर गले की हड्डी साबित हो सकता है। इसीलिए अधिकारियों ने इस प्रोजेक्ट को ड्रॉप कर दिया।
पत्रिका ने जताया था संशय जिस तरह मनपा प्रशासन ने स्काई वॉक प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था, उसकी सफलता पहले से ही संदिग्ध दिख रही थी। राजस्थान पत्रिका ने 28 अक्टूबर, 2017 को ‘सफेद हाथी साबित न हो स्काई वॉक’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर आशंका जताई थी कि प्रोजेक्ट का कपड़ा मार्केट में कामयाब होना संदिग्ध है। दरअसल, मनपा प्रशासन ने शहर में जगह-जगह फुटओवर ब्रिज बनाए हैं। कुछ पर एस्केलेटर लगे हैं तो कहीं लिफ्ट है। कई जगह सीढिय़ों से भी लोगों को चढऩा पड़ता है। इन सभी फुटओवर ब्रिज पर लोगों की आवाजाही नगण्य है। मनपा प्रशासन ने वर्षों पहले लाखों रुपए खर्च कर रिंगरोड पर सडक़ पार करने के लिए अंडरपास बनाया था, जो आवारा पशुओं का ठिकाना और गंदगी तथा कचरे का ढेर बनकर रह गया है। ऐसे में स्काई वॉक की सफलता शुरू से संदिग्ध लग रही थी।
यह था स्काई वॉक रिंगरोड पर कपड़ा मार्केट के ट्रैफिक से निपटने के लिए सभी विकल्पों पर काम करने के बाद मनपा प्रशासन ने स्काई वॉक बनाकर ट्रैफिक डायवर्ट करने का सपना संजोया था। 2.87 किमी लंबे स्काई वॉक प्रोजेक्ट पर 57 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान था। यह काम चरणवार होना था। पहले चरण में 14.95 करोड़ रुपए खर्च कर सालासर हनुमान द्वार से महावीर मार्केट होते हुए मल्टीलेवल पार्किंग तक 670 मीटर लंबा स्काई वॉक बनाया जाना था। स्मार्ट सिटी के तहत बनने वाले स्काई वॉक पर पहले ट्रैवलेटर या एस्केलेटर लगाने की तैयारी थी। प्रोजेक्ट खर्चीला होता देख मनपा प्रशासन ने ट्रैवलेटर या एस्केलेटर के बगैर ही प्रोजेक्ट पर आगे बढऩे का निर्णय किया था। इस प्रोजेक्ट पर मनपा एक समय टेंडरिंग स्टेज तक पहुंच गई थी। वहां से अधिकारियों ने हाथ वापस खींचे हैं।
इसलिए पड़ी जरूरत रिंगरोड का कपड़ा बाजार क्षेत्र शहर के व्यस्ततम इलाकों में से एक है। शहर के अर्थतंत्र की रीढ़ कपड़ा बाजार में कारोबार के लिए दूसरे शहरों से रोजाना हजारों लोग आते हैं। इस कारण यहां हर समय जाम के हालात रहते हैं। एक मार्केट से दूसरे मार्केट में जाने वाले लोगों का दबाव सडक़ों पर ही दिखता है। रिंगरोड के ट्रैफिक से निपटने के दूसरे तमाम उपाय आजमाने के बाद मनपा प्रशासन ने सडक़ के ऊपर सडक़ बनाने की प्लानिंग पर काम शुरू किया। इसे अधिकारियों ने स्काई वॉक का नाम दिया था। मनपा प्रशाासन का मानना था कि स्काई वॉक बनता है तो एक से दूसरे मार्केट में जाने के लिए लोग सडक़ पर उतरने के बजाय इस विकल्प का इस्तेमाल करेंगे।
इस तरह होता सर्किट पूरा तीन चरणों में बनने वाला स्काई वॉक सालासर हनुमान द्वार से महावीर मार्केट होते हुए मल्टीलेवल पार्किंग तक, दूसरा फेज सालासर हनुमान मंदिर से मिलेनियम मार्केट तक जाता। तीसरे फेज को भी दो हिस्सों में रखा गया था। पहला हिस्सा सालासर हनुमान द्वार से रिंगरोड पर स्वर्णिम सर्किल तक और दूसरा हिस्सा मिलेनियम मार्केट के समीप गली से रेलवे गरनाला के समीप रघुकुल मार्केट तक जाता। स्काई वॉक बनने से सभी मार्केट इंटीग्रेट हो जाते और मार्केट एरिया में आने वाला व्यक्ति रोड पर आए बगैर एक मार्केट से दूसरे मार्केट में जा सकता था।