आमतौर पर सिटी बसों में सफर कर रहे लोग कई बार नियत स्टेशन से आगे के स्टेशनों पर उतरते हैं। बसों में तैनात कंडक्टर को हर सवारी के बारे में यह खयाल नहीं रहता कि किसे कहां उतरना है। उसके लिए सवारियों के टिकट बार-बार जांचना संभव नहीं होता। कुछ सवारियां इसका फायदा उठाती हैं और घाटा मनपा के हिस्से आता है। इस मुश्किल से निजात पाने के लिए मनपा प्रशासन सिटी बसों में पोल डिटेक्टर लगाने जा रहा है। इसके बाद उन यात्रियों के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी, जो कम किराया चुकाकर लंबी दूरी का सफर तय करने के आदी हो चुके हैं।
मनपा प्रशासन ने बीआरटीएस के पाल-कोसाड रूट के स्टेशनों पर टर्न स्टाइल सिस्टम लगाया है। इसके तहत दिल्ली में मेट्रो की तर्ज पर यहां भी बारकोड पढ़कर बस के लिए स्टेशन के दरवाजे खुलते हैं। यात्रियों को बस में चढऩे और स्टेशन से बाहर निकलने के लिए इसी सिस्टम से गुजरना होता है। पाल-कोसाड रूट पर लगे टर्न स्टाइल सिस्टम का ट्रायल चल रहा है। अब तक के प्रदर्शन के बाद मनपा प्रशासन बीआरटीएस के अन्य रूट्स पर भी इसे लगाने का मन बना रहा है।
जनरेट होता है बारकोड सिटी बसों में कंडक्टर जो टिकट बनाता है, हर नए टिकट पर बारकोड जनरेट हो जाता है। इसकी सूचना कंट्रोल सिस्टम को हो जाती है कि किस स्टेशन से कहां के लिए कितने टिकट बने हैं। सवारी तय स्टेशन पर उतरी या नहीं, इसकी रिपोर्टिंग का कोई सिस्टम मनपा के पास नहीं था। पोल डिटेक्टर लगाने के बाद सवारियों के उतरने की डिटेल भी कंट्रोल सिस्टम को मिल जाएगी।
ऐसे काम करेगा पोल डिटेक्टर बस का गेट तभी खुलेगा, जब यात्री अपने टिकट का बारकोड पोल डिटेक्टर को दिखाएगा। यदि यात्री ने निर्धारित स्थान पर या उससे पहले ही अपनी यात्रा संपन्न कर ली है तो गेट बारकोड पढ़ते ही खुल जाएगा। सवारी यदि तय स्टेशन से आगे उतरती है तो पोल डिटेक्टर बारकोड पढ़कर अलार्म बजा देगा। अलार्म बजते ही पता चल जाएगा कि अमुक यात्री ने अपने गंतव्य के लिए कम मूल्य का टिकट लिया था।