...तो मान लें आगे बढ़ेगी तापी के बहाव क्षेत्र को लंबा करने की कवायद
मगदल्ला ब्रिज पर कन्वेंशनल बैराज को मिली है बजट में जगह, तापी के लिए संजीवनी साबित होगा यह निर्णय

विनीत शर्मा
सूरत. तापी के समुद्र में मिलन को बाधित करने के बाद मनपा प्रशासन ने अब इसके बहाव क्षेत्र को लंबा करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। बीते कई बरस की कवायद के बाद एक बार फिर इसे लेकर मनपा प्रशासन गंभीर हुआ है। लोगों का मानना है कि मगदल्ला पर प्रस्तावित कन्वेंशनल बैराज तापी के लिए संजीवनी साबित होगा। इसके बनने से नदी के बहाव क्षेत्र में जमीन की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
किसी भी नदी का समुद्र में मिलन ही उसकी संपूर्णता है। इस मायने में मुलताई से निकली तापी बरसों से अधूरी है। मनपा प्रशासन ने शहरीजनों और पानी आधारित उद्योगों में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए वर्ष 1995-96 में सिंगणपोर में तापी नदी पर कोजवे बनाकर तापी के समुद्र से मिलन को अवरुद्ध कर दिया था। उसके बाद से कोजवे की डाउन स्ट्रीम में नदी का बहावक्षेत्र जल से रीता पड़ा है। मानसून के दौरान कोजवे के ओवरफ्लो होने पर ही डाउन स्ट्रीम मेें तापी बहती दिखती है। बाकी दिनों में समुद्र की भरती के दौरान जो पानी नदी के बहाव क्षेत्र में आता है, उसका कुछ हिस्सा पतली धार की तरह नदी में ठहरा हुआ दिखता है। समुद्र के पानी के खारेपन से डाउन स्ट्रीम में नदी तल की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हुई है।
भविष्य की जरूरतों को देखते हुए बीते करीब एक दशक से मनपा प्रशासन मगदल्ला पर एक और बैराज बनाने की कवायद कर रहा है। पहले यहां बैलून बैराज बनाने की कोशिशें शुरू हुईं। बरसों तक फाइल बैलून बैराज की फिजिबिलिटी तलाशने में ही इधर से उधर झूलती रही। बैलून बैराज पर विशेषज्ञों की ना के बाद नए सिरे से कन्वेंशनल बैराज पर काम शुरू किया गया। वित्त वर्ष 2019-20 में मनपा प्रशासन ने इसके लिए बजट में तीन करोड़ रुपए से अधिक का प्रावधान किया था। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में भी मनपा प्रशासन ने कन्वेंशनल बैराज के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए बैराज और रिवर फ्रंट के लिए 52.78 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। बैराज के निर्माण पर 504 करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान है।
मुख्यमंत्री ने दिए थे निर्देश
लोकसभा 2019 के चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने गांधीनगर में हुई बैठक में मगदल्ला बैराज की प्रगति का रिव्यू किया था। उस वक्त उन्होंने मनपा आयुक्त को हिदायत दी थी कि बैराज को लेकर कागजी कार्रवाई पूरी कर ली जाए और आचार संहिता हटते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाए। उसके बाद लगा था कि कन्वेंशनल बैराज का काम जल्द शुरू हो जाएगा। बैराज का काम पूरा होने में तीन वर्ष का समय लग सकता है। माना जा रहा है कि कैलेंडर वर्ष २०२० में बैराज की साइट पर काम शुरू हो जाएगा।
यहां बनेगा बैराज
मनपा प्रशासन इन दिनों तापी नदी पर मगदल्ला के समीप रूंढ में बैराज बनाने जा रहा है। इसके निर्माण के बाद जहां बहाव क्षेत्र बढऩे से तापी नदी को संजीवनी मिलेगी, नदी के दोनों ओर के हिस्सों में मिट्टी की सेहत भी सुधरेगी। तापी को जीवंत बनाने में मगदल्ला में प्रस्तावित ब्रिज मील का पत्थर साबित हो सकता है।
जमीन पर पड़ रहा है असर
इसका असर डाउनस्ट्रीम में दोनों ओर की जमीन में देखा जा सकता है। औसतन सौ वर्ष की आयु वाले मकान और बहुमंजिला इमारतें महज ४०-५० वर्ष में ही बूढी हो जाती हैं। जमीन में पैठ बना चुके खारेपन के कारण भवनों में लगा स्टील जंग खाने लगता है। जानकारों के अनुसार मगदल्ला में प्रस्तावित बैराज बनने के बाद तापी नदी डाउन स्ट्रीम में बहने लगेगी। इससे जहां नदी तल की गुणवत्ता में सुधार होगा, आसपास के जमीन का खारापन भी दूर हो जाएगा।
पूरी होगी भविष्य की जरूरत
मनपा प्रशासन ने शहर की जरूरतों को देखते हुए विजन 2044 पर रिपोर्ट तैयार की है। इसके मुताबिक शहर की आबादी एक करोड़ का आंकड़ा पार कर जाएगी। इन लोगों को शहर में समायोजित करने के लिए शहर का दायरा बढ़ाने के साथ ही लोगों की पानी की जरूरत को पूरा करना भी चुनौती से कम नहीं होगा। मानसून के दौरान नदी का हजारों गैलन मीठा पानी दरिया में बह जाता है। बैराज बनने के बाद दरिया में जाने से पहले ही रोककर नदी के पानी को पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे में डाउन स्ट्रीम में जमा हुआ जल भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा।
बनेगा रिवर्ज वेल
उमरा से मगदल्ला के बीच बनने वाले वियर कम कोजवे साइट पर सॉइल स्ट्रेटा की फिजिबिलिटी पर भी कवायद की गई थी। वियर कम कोजवे से दरिया में जाने वाले पानी को मगदल्ला से पहले ही रोक कर कोजवे से बैराज साइट तक करीब पांच रनिंग किलोमीटर विस्तार में रिजर्व वेल तैयार होगा।
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