इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउन्ट ऑफ इंडिया ने नवम्बर 2019 में सीए फाइनल की परीक्षा ली थी। इसका परिणाम गुरुवार को वेबसाइट पर जारी किया गया। परिणाम देखकर कई विद्यार्थी खुश हुए तो कुछ निराश हुए। इसमें एक विद्यार्थी ऐसा भी था, जिसने सोचा नहीं था कि इस साल का परिणाम उसके परिवार के लिए खुशी लेकर आएगा और यह खुशी उसे सूरत से मिलेगी। डूंगरपुर निवासी भगवतीलाल कलाक दिव्यांग हैं। उनकी पत्नी उषादेवी गृहिणी है।
कपड़ों का ठेला लेकर घर-घर बेचने जाते हैं भगवतीलाल परिवार को चलाने के लिए कपड़ों का ठेला लेकर घर-घर बेचने जाते हैं। उनका सपना था कि बेटा भाविक पढ़ लिखकर परिवार का सहारा बने। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण भाविक का डूंगरपुर के सरकारी स्कूल में दाखिला करवाया। भाविक ने बताया कि उसने 12वीं तक की पढ़ाई डूंगरपुर के हिन्दी सरकारी माध्यम स्कूल में की है। फिर आगे की पढ़ाई के लिए वह गुजरात आ गया। अहमदाबाद में चचेरा भाई पढ़ाई करता था। इसलिए उसी के कमरे में रहने की जगह मिल गई। अहमदाबाद में एम.सी.शाह कॉमर्स कॉलेज में प्रवेश लिया। वहां से बिना किसी के मार्गदर्शन में सीए का पहला पड़ाव सीपीटी की 2012 में परीक्षा दी और उत्तीर्ण भी हो गया। इसके बाद दूसरा पड़ाव आइपीसीसी का पहला ग्रुप 2013 और दूसरा ग्रुप 2014 में उत्तीर्ण कर लिया।
– फाइनल उत्तीर्ण करने की चिंता ले आई सूरत
अब भाविक को चिंता सताने लगी कि फाइनल परीक्षा कैसे उत्तीर्ण की जाए। इसी दौरान उसे सूरत में सीए विद्यार्थियों को मार्गदर्शन देने वाले सीए रवि छावछरिया के स्टार सीए प्रोग्राम के बारे में जानकारी मिली। बाद में सीए रवि छावछरिया से मिलकर अपनी और परिवार की स्थिति के बारे में बताया। उन्होंने तुरंत मार्गदर्शन देना शुरू किया।
– सीए स्टार प्रोग्राम गरीब छात्रों के लिए वरदान
भाविक का कहना है कि वह सीए स्टार प्रोग्राम के अंतर्गत डेढ़ साल तक सूरत में रहा। यहां रहने और खाने की पूरी जिम्मेदारी सीए रवि ने उठाई। इससे पिता और माता भी खुश हुए। सीए फाइनल के पहले ग्रुप की परीक्षा नवम्बर 2018 में दी और 2019 में परिणाम आया, जिसमें पास हो गया। इसके बाद नवम्बर 2019 में दूसरे ग्रुप की परीक्षा दी, जिसका परिणाम गुरुवार को जारी हुआ। मैं दूसरा ग्रुप भी पास हो गया और सीए बन गया। सीए बनकर परिवार को खुशी मिली है। अब परिवार को आर्थिक रूप से भी सहायक बनंूगा।