पहले स्पार्कल के आयोजन में मध्यम और बड़े ज्वैलर्स को स्थान दिया जाता था। गुजरात सहित देश-विदेश के ज्वैलर्स यहां अपने स्टॉल लगाते थे। बायर टू बायर के साथ बायर टू कस्टमर की व्यवस्था एक साथ की जाती थी। पिछले साल के स्पार्कल में स्थानीय सहित देश-विदेश के 150 से अधिक ज्वैलर्स ने स्टॉल लगाए थे।
सभी को पर्याप्त ऑर्डर मिले थे, लेकिन इस बार चैम्बर सिर्फ बायर टू बायर के लिए स्पार्कल का आयोजन कर रहा है। प्रदर्शनी में शामिल नहीं किए जाने के कारण मध्यम ज्वैलर्स में नाराजगी हैै। उनका कहना है कि स्पार्कल का आयोजन सभी ज्वैलर्स को बढ़ावा देने के लिए किया जाता था, लेकिन चैम्बर ने इस बार सिर्फ बायर टू बायर को मौका देकर मुख्य उद्देश्य को नजरअंदाज कर दिया।
सूरत का मार्केट अभी बायर टू बायर के लिए परिपक्व नहीं है। यह बहुत छोटा मार्केट है। पहले छोटे और मध्यम ज्वैलर्स को भी प्लेटफॉर्म मिल जाता था, लेकिन इस बार उन्हें दरकिनार किया गया।
हर साल स्पार्कल के लिए देश-विदेश में रोड शो के माध्यम से प्रचार किया जाता था, लेकिन इस बार स्पार्कल का प्रचार डिजिटल माध्यम से किया गया। इस बार पिछले साल की अपेक्षा इसमें कम ज्वैलर्स हिस्सा ले रहे हैं।
छोटे उद्यमी निराश
& हर बार स्पार्कल में सभी ज्वैलर्स को हिस्सा लेने का मौका मिलता था। इस बार सिर्फ बायर टू बायर होने के कारण बड़ी संख्या में ज्वैलर निराश हैं।
प्रवीण नाणावटी, पूर्व चैम्बर प्रमुख
कइयों को मौका नहीं
& सूरत में स्पार्कल के आयोजन से स्थानीय सहित देश-विदेश के ज्वैलर्स को व्यापार का मौका मिलता था, लेकिन इस बार बायर टू बायर की थीम से बड़ी संख्या में ज्वैलर निराश हैं।
राहुल बजाज, हीरा जेवरात ग्रुप
संपर्क नहीं किया
& हर बार चैम्बर की ओर से स्पार्कल के आयोजन के पहले हमसे संपर्क किया जाता था। इस बार चैम्बर हमसे दूर रहा। सिर्फ बायर टू बायर के लिए होने के कारण मध्यम ज्वैलर्स इसमें शामिल नहीं हो सकेंगे।तुषार चौकसी, प्रमुख, सूरत ज्वैलर्स एसोसिएशन