शहर में इ-टिकट की कालाबाजारी करने वाले त्योहार के सीजन में ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। मुम्बई रेलवे विजिलेंस विभाग को सूरत के पांडेसरा क्षेत्र में एक दुकान से इ-टिकटों की कालाबाजारी की सूचना मिली थी। मुख्य सतर्कता अधिकारी मनोज कुमार यादव ने इस सूचना के आधार पर बुधवार को सूरत के सीसीएमआइ गणेश जाधव, रेलवे सुरक्षा बल हेड कांस्टेबल चम्पालाल पाटिल के साथ उधना में बमरोली रोड पर ग्वालकनगर की तन्नु किराना एंड मोबाइल शॉप नाम की दुकान पर छापे की कार्रवाई की। यहां वशिष्ठ कुमार सिंह चन्द्रभान सिंह (34) को गिरफ्तार किया गया।
तलाशी के दौरान दुकान से करीब दो सौ आरक्षित रेल इ-टिकट बरामद हुए, जिनकी कीमत 5 लाख 36 हजार 274 रुपए बताई गई है। इनमें 86 टिकटों पर यात्रा शेष है, जबकि 114 टिकटों पर यात्रा हो चुकी है। रेलवे विजिलेंस विभाग ने दुकान से दो आइडी और पासवर्ड, एक पुराना लेपटॉप, 47 बुकिंग ऑर्डर स्लिप और एक मोबाइल फोन भी बरामद किया। वशिष्ठ कुमार को उधना रेलवे सुरक्षा बल को सौंप दिया गया। उसके खिलाफ रेलवे एक्ट की धारा 143 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
39 आइडी से बुक करता था इ-टिकट आइआरसीटीसी ने ऑनलाइन टिकटों की बुकिंग के लिए नियम और शर्तें तय कर रखी हैं। निजी आइडी पर सिर्फ यात्री अपना टिकट बुक कर सकता है। इ-टिकट की कालाबाजारी करने वाले एजेंट बड़ी संख्या में फर्जी निजी आइडी बनाकर यह कारोबार करते हैं। विजिलेंस विभाग की कार्रवाई में एजेंट वशिष्ठ कुमार से ३९ आइडी-पासवर्ड बरामद हुए हैं। पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह ग्राहकों से प्रति टिकट सौ रुपए लेता था।
वापी के छीरी गांव से भी एजेंट को पकड़ा सूरत रेलवे सुरक्षा बल अपराध शाखा के निरीक्षक अरुण कुमार सिंह को वापी के छीरी गांव में इ-टिकट एजेंट की जानकारी मिली थी। सूचना के आधार पर कांस्टेबल राकेश यादव और मुकेश सिंह ने गुुरुवार को छीरी गांव के कंचननगर में राजेश्वरी एंड संस नाम की मोबाइल शॉप पर दबिश दी। दुकान से सोमाराम हेमाराम चौधरी (29) को नौ इ-टिकट के साथ गिरफ्तार किया गया। बरामद टिकटों की कीमत ग्यारह हजार दो सौ रुपए है। इसके अलावा एक ऑर्डर बुक, नकद 250 रुपए, आइडी-पासवर्ड और लेपटॉप भी बरामद किया गया।
पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह ग्राहकों से 50-100 रुपए अधिक लेकर टिकट बेचता था। उसके पास आइटीजेड द्वारा टिकट बुक करने का आइआरसीटीसी का लाइसेंस है। इसके बावजूद वह निजी आइडी से इ-टिकट बुक करता था। अपराध शाखा ने एजेंट तथा बरामद इ-टिकट वापी रेलवे सुरक्षा बल को सौंप दिए।