सूरत

statue of unity : ‘यूनिटी’ ने तोड़े रिकॉर्ड पर नहीं जुटे विदेशी सैलानी

– देश के सभी स्मारकों में सर्वाधिक आय वाली सरदार पटेल की प्रतिमा- डेस्टिनेशन तक पहुंचने का प्रचार नहीं पहुच पाया विदेशों तक

सूरतNov 07, 2019 / 11:18 pm

pradeep joshi

statue of unity : ‘यूनिटी’ ने तोड़े रिकॉर्ड पर नहीं जुटे विदेशी सैलानी

सूरत. विश्व के टॉप १०० हॉट डेस्टिनेशन में शामिल स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के ३१ अक्टूबर २०१८ को लोकार्पण के बाद से अब तक यहां करीब ३७ लाख सैलानी आ चुके हैं। इसके बावजूद यहां विदेशी पावणे अपेक्षित संख्या में नहीं जुट पाए हैं। जबकि घरेलू पर्यटकों में भी सवार्धिक संख्या घूमने-फिरने के शौकीन गुजरातियों की ही है। इसके अलावा मोटे तौर पर ३५ प्रतिशत पर्यटक अन्य राज्यों के बताए जा रहे हैं।
गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के बीच लौह पुरुष सरदार वल्लभाई पटेल की ५००० मेट्रिक टन लोहे से १८२ मीटर ऊं ची प्रतिमा के आगे न्यूयॉर्क स्थित स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी मात्र ९३ मीटर की ही है। वहां गत वर्ष जुटे ४० लाख पर्यटकों की तुलना में हमारे सरदार की प्रतिमा पर शुरुआती वर्ष में ही ३७ लाख पर्यटक जुटे हैं। इसके बावजूद विदेशी पर्यटक नहीं जुट पाए हैं। ज्ञात रहे कि ताजमहल देखने हर वर्ष करीब ६५ लाख पर्यटक आते हैं। इनमें विदेशियों की संख्या अधिक है। ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार २४ लाख ४४ हजार पर्यटकों से ही स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के सरदार वल्लभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट को ६३ करोड़ ३९ लाख १४ हजार की आय हुई है। जबकि ताजमहल ६४ लाख ५८ हजार सैलानियों के सामने ५६ करोड़ की आय हुई है। इस वर्ष दीपावली के पांच दिनों में ही ८५,६३० सैलानियों ने स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को देखा।
पूरे वर्ष के दरम्यिान करीब ६५ फीसदी गुजरातियों ने गोवा प्रेम और कश्मीर के शौक को दरकिनार करते हुए पटेल की प्रतिमा को डेस्टिनेशन चुना। ३५ फीसदी अन्य राज्यों के सैलानियों ने भी स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को ही तवज्जो दी, लेकिन सरदार के सीने से समृद्धि रूपी सरदार सरोवर नर्मदा बांध को देखने से विदेशी सैलानी रह गए। विश्व के इस सबसे बड़े स्मारक पर अब तक कुछेक हजार विदेश ही पहुंच पाए हैं।
विदेशी सैलनियों के बारे में स्पष्ट आंकड़े का होने का अभाव बताते हुए नर्मदा जिला प्रशासन स्वीकारता है कि स्टेच्यू व बांध के आसपास कुछ किलोमीटर के दायरे में अभी २० प्रोजेक्ट पूरे होने ही जा रहे हैं। बस अब विश्व के देशों में व्यापक प्रचार-प्रसार अभियान चलाएंगे। हाल ही कई देशों के राजदूतों की बैठक यहां होने ही वाली थी, लेकिन इसकी तिथि आगे बढ़ा दी गई है।

सैलानियों के दिमाग में नहीं बैठ पाया नक्शा :

दरअसल, विदेशी पर्यटक ों के जेहनमें अभी भी दिल्ली-आगरा-जयपुर के गोल्डन ट्रैन्गल व गुजरात में गिर, गांधी आश्रम और कच्छ का रण ही है। स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का नक्शा व खाका डेस्टिनेशन के रूप में नहीं जम पाया है। यहां तक कि देशी पर्यटकों को भी यहां तक पहंचने का रूट व यातायात सुविधाएं स्पष्ट नहीं है। इस डेस्टिनेशन तक खस्ता सड़क, ट्रेन व आवृत्तिवार बस सेवा का अभाव है।

औसत १० हजार सैलानी रोज :


करीब ३००० करोड़ के खर्च के प्रोजेक्ट के सामने रोज ८ से लगाकर १२ हजार पर्यटक आ रहे हैं और करीब सात करोड़ की मासिक आवक है। सूत्रों के अनुसार २०२० तक ७.५ करोड़ सालाना पर्यटकों का लक्ष्य है। निर्माण व देखरेख करने वाली एलएंडटी को १५ वर्षों के लिए करीब ६५७ करोड़ का ठेका दिया गया है। यहां डायनासोर व बटरफ्लाई पार्क, कैक्टस पार्क, जू-सफारी,रिसोर्ट आदि भी पूर्णता की ओर है। रीवर राफ्टिंग व हेलिकॉप्टर से नजारा दिखाया जा है। यहां टेंट सिटी व फू ड कोर्ट, ऑडियो-विडियो संग्रहालय व कई स्वचालित सीढिय़ां व फुटस्टेप्स बने हैं।


सर्वाधिक आय वाली स्टेच्यू
स्मारक आय सैलानी
स्टेच्यू ऑफ यूनिटी – ६३ करोड़ २४.४४ लाख
ताजमहल ५६ करोड़ ६४.५८ लाख
आगरे का किला ३०.५५ करोड़ २४.९८ लाख
कुतुब मीनार २३.४६ करोड़ २९.२३ लाख
फतेहपुर सीकरी १९.०४ करोड़ १२.६३ लाख
लाल किला १६.१७ करोड़ ३१.७९ लाख

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