टीम में गुजरात से 54 लोग शामिल थे।
हिमालय में सफलता ट्रेक पूरी करने वालों में शामिल अधिवक्ता अश्विन जोगडिय़ा, सिद्घार्थ मोदी, हरिश भथवार और मनोज भट्ट ने सूरत लौटने पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि उन्हें यह मौका यूथ हॉस्टल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से मिला।
12 दिन के इस सफर की शुरुआत हिमाचल के भूंटर से करीब 30 किमी दूर कसोल कस्बे से हुई। इससे पहले दो दिन तक उन्हें प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने बताया कि ट्रैकिंग के दौरान कई तरह की मुश्किलें आईं, लेकिन उनके कदम नहीं रुके। कच्चे रास्ते, नदी, नाले, पहाड़ और बर्फीले क्षेत्रों से गुजरते हुए वह आगे बढ़ते गए। इस दौरान कई बार फिसले भी, लेकिन एक-दूसरे को संभाल लिया। अंत में 13800 फीट सफर तय कर सरपास पहुंच गए। उन्होंने बताया कि हिमालय में ट्रैकिंग के लिए जाने से पहले छह महीने तक तैयारी की गई।
टैंट के पास खोपड़ी और हड्डियां पड़ी थीं
अधिवक्ता जोगडिय़ा ने बताया कि रोजाना वह सात से आठ घंटे चलते थे। इसके बाद टैंट में रात गुजरानी पड़ती थी। पादरी नाम की जगह बने टैंट का नजारा देखकर सभी डर गए। टैंट के आसपास कई खोपडिय़ां और हड्डियां बिखरी पड़ी थीं।
जब गाइड से पूछा गया तो उसने बताया कि आसपास जंगली जानवरों का बसेरा है, इसलिए शाम सात बजे के बाद किसी को टैंट से निकलना नहीं है। यदि आवश्यक कारणों से बाहर निकलना पड़े तो तीन से अधिक लोग साथ निकलें।
महिला यात्री को १.७५ लाख का बैग लौटाया
सूरत रेलवे एलसीबी पुलिस ने नवजीवन एक्सप्रेस में सफर कर रही एक महिला को उसका बैग लौटाया, जिसमें करीब पौने दो लाख रुपए के आभूषण थे। परवत पाटिया वृजभूमि टावर नं. 2 फ्लैट नं. १०१ निवासी आरती दीपक राठी (३३) मंगलवार को नवजीवन एक्सप्रेस में परिवार के साथ सफर कर रही थी। वह अकोला से उधना के लिए ट्रेन में चढ़ी थी। उधना में ट्रेन से उतरने के दौरान उसका एक बैग स्टेशन पर छूट गया था। आरती ने बाद में सूरत स्टेशन पर एलसीबी उप निरीक्षक एम.एम. तलाटी से सम्पर्क किया। बैग ट्रेन में मिल गया। एलसीबी थाने बुलाकर आरती को बैग सौंप दिया गया।