उनका कहना है कि पंचधातु से बने कड़े के अलावा उनकी पुश्तैनी धरोहर में कुछ मूर्तियां और दो तलवारें भी हैं। इन्हें कोई घर में नहीं रख सकता। पीढिय़ों से खुले आंगन में अलग मंदिर बना कर इनकी नियमित पूजा-अर्चना की जाती है। पूर्व में जिसने इन्हें चुराने की कोशिस की उनके साथ अनिष्ट हुआ। गत फरवरी में होली से कुछ दिन पूर्व कड़ा चोरी हो गया।
राजा जनक से मिला था कड़ा छत्रसिंह ने बताते है कि पंचधातु का कड़ा व अन्य वस्तुएं पवित्र व चमत्कारिक है। ये सभी रामायण काल की है। राजा जनक ने यह कड़ा उनके पूर्वज राजाओं को दिया था। तब से पीढ़ी दर पीढ़ी यह उन तक पहुंचा है। पंचधातु के कड़े और मूर्तियों की पूजा करके ही कोई भी त्यौहार मनाया जाता है। कड़ा चोरी होने से आहत लिंगा समेत आस पास के गावों के लोगों ने होली भी नहीं मनाई थी।
डांग की पांच रियासतों में से एक हैं लिंगा ब्रिटिश काल में आधुनिक गुजरात के सुदूर दक्षिण में स्थित डांग जिले में पांच आदिवासी (भील) रियासतें थी। जो अंग्रेजों को चुनौती देती रहती थी। लशकरियां आंबा नामक जगह पर अंग्रेजों ने इनसे युद्ध किया लेकिन जीत नहीं पाए। 1842 में अंग्रेजों ने इनसे संधी की और जमीन व जंगल के अधिकार के बदले 3 हजार चांदी के सिक्के मासिक पैंशन तय की।
अंग्रेजों ने जिला मुख्यालय अहवा में होली के समय डांग दरबार का आयोजन कर उन्हें पैंशन देने की परम्परा शुरू की। जो आजादी के बाद भी जारी रही। 1970 में सरकार ने सभी राजे रजवाड़ों की पैंशन खत्म कर दी हैं, लेकिन डांग की पांच रियासतों को दरबार लगा कर पैंशन देना जारी हैं।
इन रियासतों में दहेर अमला के राजा तपत रॉव, गढ़वी के राजा करणसिंह पंवार, वासुरना के राजा धनराज सिंह सूर्यवंशी, पिंपरी के राजा त्रिकम राव व लिंगा के राजा भंवरसिंह सूर्यवंशी शामिल हंै। भंवरसिंह के अवसान के बाद से उनके पुत्र छत्रसिंह उतराधिकारी बताए जाते है। ब्रिटिश काल में लिंगा रियासत में सौ से अधिक आदिवासी गांव थे।
चोरी नहीं, मारपीट और प्रताडऩा की शिकायत मिली थी डांग जिले के सापुतारा थाने के प्रभारी एम.एल.डामोर ने बताया कि कोई पुश्तैनी कड़ा गुम होने के बारे में सुना था। कोई चोरी नहीं हुई और न ही कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं करवाई गई थी। लिंगा के राजा छत्रसिंह के परिवार की एक महिला ने ही मारपीट व प्रताडऩा की शिकायत दर्ज करवाई थी।
जिसमें उसने आरोप लगाया था कि कड़े की चोरी का झूठा आरोप लगा कर उसे प्रताडि़त किया जा रहा हैं। इस घटना को लेकर छत्रसिंह व अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी। मारपीट के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। बाद में जमानत पर रिहा हुए थे।