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मिशन एडमिशन : निर्माण क्षेत्र में तेजी से विकसित होते सूरत में नहीं मिल रहे आर्किटेक्चर की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी !

locationसूरतPublished: Oct 26, 2021 08:27:04 pm

– दक्षिण गुजरात की 4 आर्किटेक्चर कॉलेज में मात्र 6 विद्यार्थियों ने ही लिया प्रवेश- सूरत की दो आर्किटेक्चर कॉलेज में एक भी विद्यार्थी ने नहीं लिया प्रवेश- वीएनएसजीयू की सीटें बढ़ाई फिर भी नहीं मिल पाए आर्किटेक्चर करने वाले विद्यार्थी- 12वीं बोर्ड में मास प्रमोशन के बावजूद रिक्त सीटों को भरना ना मुमकिन के बराबर

मिशन एडमिशन : निर्माण क्षेत्र में तेजी से विकसित होते सूरत में नहीं मिल रहे आर्किटेक्चर की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी !

मिशन एडमिशन : निर्माण क्षेत्र में तेजी से विकसित होते सूरत में नहीं मिल रहे आर्किटेक्चर की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी !

सूरत
निर्माण क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे सूरत में आर्किटेक्चर पाठयक्रम प्रति विद्यार्थियों की रुचि कम होना चिंता का विषय बन गया है। इंजीनियरिंग के बाद अब आर्किटेक्चर पाठ्यक्रम का भी आकर्षण कम हो रहा है। आर्किटेक्चर पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या से ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है। दक्षिण गुजरात की 4 आर्किटेक्चर कॉलेज में मात्र 6 ही विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। सबसे चौकाने वाली बात तो यह है की सूरत के 2 आर्किटेक्चर कॉलेज में एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया है। 12वीं में मास प्रमोशन के बावजूद आर्किटेक्चर की सीटों का खाली रह जाना शिक्षा जगत में चर्चा का विषय बन गया है। अब इन सीटों को भरना एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है।
एडमिशन कमिटी फॉर प्रोफेशनल कोर्सिस ने आर्किटेक्चर पाठ्यक्रम में प्रवेश का पहला राउंड पूरा होने के बाद रिक्त सीटों की सूचि जारी की है। रिक्त सीटों की सूचि को देख सभी चौंक उठे है। दक्षिण गुजरात में आर्किटेक्चर की कुल 359 सीटें है। इन सीटों के सामने मात्र 96 विद्यार्थियों ने ही प्रवेश लिए है। जब कि 263 सीट खाली रह गई है। दक्षिण गुजरात में 73.26 प्रतिशत सीट रिक्त है।
नामंकित कॉलेज ही पड़े है खाली:
सूरत के स्केट कॉलेज में 86 सीटों के सामने 58 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है और 28 सीट खाली पड़ी है। वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय की 90 सीटों के सामने 32 विद्यार्थियों ने ही प्रवेश लिया है और 58 सीट खाली पड़ी है। यह दोनो कॉलेज गुजरात के प्रतिष्ठित आर्किटेक्चर कॉलेज की सूचि में आगे है। स्केट कॉलेज हर साल आर्किटेक्चर क्षेत्र में देश और दुनिया में कई पुरस्कार जीता है। फिर भी दोनो में सीट खाली पड़ी है।
एक भी विद्यार्थी ने नहीं लिया प्रवेश:
सूरत के भगवान महावीर के आर्किटेक्चर कॉलेज में 90 सीटें है यह सारी खाली है। दूसरी वेसू स्थित विद्यामंदिर में 23 सीटें है, इनमें भी किसी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया है। एक भी प्रवेश नहीं होने पर इस साल इन दोनो कॉलेजों में आर्किटेक्चर के प्रथम वर्ष की एक भी कक्षा नहीं होगी। ऐसा ही हाल रहा तो दोनो कॉलेज बंद भी हो सकते है।
– 183 सीटों के सामने मात्र 6 ही प्रवेश:
दक्षिण गुजरात के अन्य 4 कॉलेज में कुल 183 सीट है। इनके सामने मात्र 6 विद्यार्थियों ने ही प्रवेश लिया है। पी पी सावनी में 25 सीटों के सामने 2 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है और 23 सीट खाली पड़ी है। उका तरसाड़िया में 45 सीटों के सामने 3 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है और 41 सीटें खाली पड़ी है। अब बाकी की सीट कैसे भारी जाए यह सभी के लिए परेशानी का कारण बन गया है।

मास प्रमोशन के बावजूद निराशा:
कोरोना के कारण इस साल सभी बोर्ड ने 12वीं के विद्यार्थियों को मास प्रमोशन दिया था। मास प्रमोशन से लगा की इस बार प्रवेश के लिए भीड़ उमड़ेगी। सभी को प्रवेश देना मुश्किल होगा। सीटें बढ़ानी पड़ेगी। लेकिन ऐसी स्थित देख लगता है की आने वाले सालों में सीटें कम हो सकती है और कई कॉलेज तो बंद भी हो सकते है।
मॉक राउंड से ही छाई थी निराशा:
आर्किटेक्चर के लिए प्रवेश का मॉक राउंड हुआ तभी सभी आर्किटेक्चर कॉलेज संचालकों में निराशा छा गई थी। 2000 हजार से अधिक विद्यार्थी प्रवेश प्रक्रिया में पंजीकृत होने के बाद भी मॉक राउंड में 314 सीट रिक्त रह जाना चिंता का विषय बन गया था।
मॉक राउंड में ही दक्षिण गुजरात के आर्किटेक्चर कॉलेजों में सीटें रिक्त थी। वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी में 52, भगवान महावीर में 89, रमण भक्ता में 41, विधियामंदिर कॉलेज में 22, पीपी सावनी की 23 सीटों पर किसी ने मॉक राउंड में प्रवेश नहीं लिया था। जिसने कॉलेज संचालकों की चिंता बढ़ा दी थी।
रिक्त सीट बनती जा रही है परेशानी का कारण:
आर्किटेक्चर की डिग्री पाने में लाखो की फीस हो जाती है। इसका प्रभाव प्रवेश पर हो रहा है। इसलिए आर्किटेक्चर की सीट रिक्त हो रही है। इस क्षेत्र में फिलहाल डाउन फॉल चल रहा है। सीटों का रिक्त रह जाना चिंता का विषय बन गया है।
– वीरेन महीडा, सिंडीकेट सदस्य, वीएनएसजीयू

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