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SURAT BJP: प्रवासी राजस्थानियों का बढ़ा स्थानीय राजनीति में कद

locationसूरतPublished: Feb 24, 2021 08:04:32 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

पहली बार महानगरपालिका में पहुंचेंगे पांच राजस्थानी, इससे पहले दो अथवा तीन को ही मिलता रहा है अवसर

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सूरत. सिल्कसिटी सूरत की अर्थ व्यवस्था और उद्योग-धंधों के साथ-साथ सामाजिक सरोकार में दशकों से बड़ा योगदान दे रहा प्रवासी राजस्थानी समाज भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक पार्टियों की नजर में स्थानीय निकाय चुनाव में एक समान ही रहता है, लेकिन दशकों के राजनीतिक इतिहास में पहली बार प्रवासी राजस्थानी सर्वाधिक संख्या में सूरत महानगरपालिका के मुख्यालय मुगलीसरा भवन में प्रवेश करेंगे।
स्थानीय राजनीति में प्रवासी राजस्थानी समाज का यूं तो पहले भारतीय जनसंघ व बाद में भाजपा-कांग्रेस से जुड़ाव कई दशकों से रहा है, लेकिन सही मायने में भारतीय जनता पार्टी के मंच पर प्रवासी राजस्थानी समाज को पहचान 1991 में कोटसफिल रोड पर अटलबिहारी वाजपेयी की जनसभा में मिली। वाजपेयी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर पहली बार सूरत आए थे और इस दौरान कपड़ा बाजार के प्रतिनिधिमंडल ने ताराचंद कासट के नेतृत्व में पार्टी कोष में 11 लाख रुपए भेंट किए थे। इसके बाद 1995 में महानगरपालिका चुनाव हुए और पार्टी की पहली टिकट और पार्षद के रूप में प्रवासी राजस्थानी पारसदेवी जैन चुनी गई थी। इस दौर में भाजपा ने कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया करते हुए 99 सीट में से 98 पर कब्जा जमाया था। इसके बाद 2000 के सूरत महानगरपालिका चुनाव में भाजपा ने तीन प्रवासी राजस्थानियों को टिकट दिया और इनमें ताराचंद कासट, प्रकाशबेन शर्मा व मथुराबेन लोहिया शामिल रही मगर तीनों ही चुनाव हार गए। इसके बाद 2005 के सूरत महानगरपालिका चुनाव में भाजपा ने प्रवासी राजस्थानियों पर पहले जैसा ही भरोसा जताया और राजू अग्रवाल, तारा पूनिया व सुषमा अग्रवाल को टिकट दी और इस बार तीनों पार्टी के भरोसे पर खरे साबित होकर मुगलीसरा भवन पहुंचे। 2010 के सूरत महानगरपालिका चुनाव में भाजपा ने राजू अग्रवाल व किशोर बिंदल दो को ही टिकट दी और इनमें राजू अग्रवाल चुनाव हार गए और बिंदल शासकपक्ष के नेता भी रहे। वर्ष 2015 के सूरत महानगरपालिका चुनाव में भाजपा ने फिर से तीन प्रवासी राजस्थानी विजय चौमाल, किरण भाटी व सुधा नाहटा को टिकट दी और तीनों ने जीत हासिल की। बीते ढाई दशक के दौरान कांग्रेस ने भी हर बार महानगरपालिका चुनाव में प्रवासी राजस्थानी समाज के दो-तीन प्रतिनिधियों को टिकट दी, लेकिन इनमें से एक भी मुगलीसरा भवन नहीं पहुंच पाया हालांकि 2005 में एनसीपी से जीतकर रणधीर पूनिया अवश्य भवन पहुंचे थे और प्रतिपक्ष के उपनेता भी बने।
-पांच को मिली और पांचों ही जीते

भाजपा ने पहली बार प्रवासी राजस्थानी समाज को सूरत महानगरपालिका चुनाव में इस बार तरजीह दी है और वैसा ही परिणाम भी सामने आया है। प्रवासी राजस्थानी समाज से दिनेश राजपुरोहित, विजय चौमाल, सुमन गाडिय़ा, रश्मि साबू व राजकुंवर राठौड़ को भाजपा ने अलग-अलग वार्ड से टिकट दी और पांचों ने जीत का परचम फहराया है। पांचों की प्रवासी राजस्थानी उम्मीदवारों ने अपने-अपने वार्ड में जनता का भरोसा भी अच्छे मतों के साथ जीता है। उम्मीद यह भी जताई जा रही है कि महानगरपालिका के बोर्ड गठन में इनमें से कोई एक को कमेटी चेयरमैन की जिम्मेदारी भी सौंपी जाए।
-संगठन में भी बनी हुई है लगातार सक्रियता

भारतीय जनता पार्टी सूरत महानगर इकाई में प्रवासी राजस्थानी समाज के प्रतिनिधियों की सक्रियता गत दो दशक से लगातार बनी हुई है। पार्टी संगठन ने सबसे पहले टैक्सटाइल मार्केट कन्वीनर के रूप में ताराचंद कासट, फिर राजेंद्र सारड़ा व बाद में रोहित शर्मा को जिम्मेदारी सौंपी थी। वहीं, शर्मा वन बूथ टेन यूथ के प्रदेश संयोजक व महानगर इकाई के मंत्री भी रहे। इनके अलावा मंत्री पद पर राजेंद्र सारड़ा भी लगातार कई वर्षों तक काबिज रहे। इनके अलावा मौजूदा इकाई में दोबारा महामंत्री बने किशोर बिंदल पहले प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व पार्टी के कोषाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

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