नदी पर कोजवे बनने के बाद तापी का पानी सिंगणपोर से आगे नहीं आ पाता।
तापी में मानसून के दौरान दो-तीन महीने ही कोजवे से आगे पानी दिखता है।
नदी में उस वक्त भी पानी दिखता है जब पूर्णिमा पर भरती का पानी समुद्र में आता है।
तापी पहले डुमस के समुद्र में जाकर गिरती थी। कोजवे बनने के बाद नदी का सफर अवरुद्ध हो गया है।
नदी में पानी का बहाव बढ़ा तो जलकुंभी भी साथ बहकर चली आई।