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SURAT EDUCATION : रिक्त सीटों को भरने के लिए नियमों को किया जा रहा है अनदेखा

locationसूरतPublished: Sep 18, 2019 07:36:52 pm

– फार्मेसी कॉलेज को भी नहीं मिल पा रहे हैं विद्यार्थी- प्रवेश के दो ऑनलाइन और ऑफलाइन राउण्ड के बावजूद नहीं भर पाई फार्मेसी की सीटें- सीट भरने के लिए गुजकेट नहीं होगा तो भी दिया जाएगा प्रवेश- स्वनिर्भर फार्मेसी की 1791, सरकारी डिप्लोमा फार्मेसी की 188, स्वनिर्भर डिप्लोमा फार्मेसी की 410 सीटें रिक्त

SURAT EDUCATION : रिक्त सीटों को भरने के लिए नियमों को किया जा रहा है अनदेखा

SURAT EDUCATION : रिक्त सीटों को भरने के लिए नियमों को किया जा रहा है अनदेखा

सूरत.

इंजीनियर और आर्किटेक्चर की तरह फार्मेसी में भी अब विद्यार्थियों की रुचि कम हो रही है। प्रवेश के लिए दो ऑनलाइन और एक ऑफलाइन राउण्ड आयोजित करने के बावजूद सरकारी और स्वनिर्भर कॉलेजों में सीटें रिक्त पड़ी हैं। इन रिक्त सीटों को भरने का जिम्मा अब कॉलेज प्रशासन को सौंप दिया गया है। गुजकेट नहीं होने पर भी प्रवेश देने का तय किया गया है। सीटें भरने के लिए प्रशासन ही नियमों को अनदेखा कर रहा है।
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राज्य के फार्मेसी कॉलेजों में प्रवेश का जिम्मा एसीपीसी के पास है। एसीपीसी ने फार्मेसी कॉलेज में प्रवेश के लिए दो ऑनलाइन राउण्ड आयोजित किए, लेकिन सीटें नहीं भर पाया। इसलिए रिक्त सीटों को भरने के लिए ऑफलाइन राउण्ड किया गया। फिर भी सीटें खाली रह गई। कुल तीन राउण्ड के बाद स्वनिर्भर डिग्री फॉर्मेसी कॉलेज में 1791, सरकारी डिप्लोमा फॉर्मेसी में 188 और स्वनिर्भर डिप्लोमा फॉर्मेसी कॉलेज में 410 सीटें खाली पड़ी हैं। रिक्त सीटों का असर कॉलेज प्रशासन पर पड़ता है। इन रिक्त सीटों को भरने का जिम्मा सीधे कॉलेज प्रशासन को दे दिया गया है। सभी को विद्यार्थी आमंत्रित कर मेरिट के आधार पर प्रवेश देने का आदेश दिया गया है। 13 सितम्बर तक प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण करने की सूचना दी गई है। इसके बाद प्रवेश प्रक्रिया समाप्त करने का निर्देश है।
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रिक्त सीटों को भरने के लिए गुजकेट को भी एकतरफ कर दिया गया है। फॉर्मेसी में प्रवेश के लिए गुजकेट अनिवार्य है, लेकिन सीटें रिक्त होने के कारण जिन्होंने गुजकेट नहीं दी है उन्हें भी प्रवेश दे देने का आदेश है। साथ ही पूरक परीक्षा में पास हुए विद्यार्थियों को भी फॉर्मेसी में प्रवेश देने का आदेश दिया गया है। रिक्त सीटों को भरने के लिए सभी तरह के नियमों को अनदेखा कर दिया गया है। इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर में भी सीटें रिक्त पड़ी हुई हैं। इन पाठ्यक्रमों में भी सीटें भरने के लिए नियमों को अनदेखा कर दिया गया है।