उन्होंने भाजपा के पटेल समुदाय के उम्मीदवार नरोत्तम पटेल को टक्कर भी दी। भाजपा को ७४ हजार ९४६ वोट मिले तो कांग्रेस ने ४२ हजार १९२ वोट हासिल किए। इसका बड़ा कारण क्षेत्र में उत्तर भारतीय मतदाताओं की मजबूत संख्या है।
विधानसभा में करीब ३५ हजार मतदाता इसी समाज से हैं। इनमें लगभग आधे मतदाता प्रवासी राजस्थानी हैं। इस क्षेत्र से महानगर पालिका में कई हिन्दीभाषी पार्षद भी हैं। हालांकि मराठी मतदाता भी दखल रखते हैं और उनकी आबादी चुनाव परिणामों पर असर डालती है, लेकिन निर्णायक वोटर्स उत्तर भारतीयों को ही माना जाता है। वर्ष २०१२ में परिसीमन के बाद इस क्षेत्र का जन्म हुआ और भाजपा ने यहां जीत हासिल की।
इस चुनाव में गुजरात हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन विवेक पटेल और महानगर पालिका की नगर प्राथमिक शिक्षण समिति के चेयरमैन हंसमुख पटेल भाजपा से दावेदारी जता चुके हैं। वराछा, कतारगाम और कापोद्रा के बाद इस बार उधना में भी भाजपा के खिलाफ माहौल देखने को मिल रहा है। वहां भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ जगह-जगह बैनर लगाए गए हैं।
वोटर वर्ग
गुजराती 53,700
सौराष्ट्रवासी 5,300
उत्तर गुजराती 8,300
उ.भारतीय हिन्दीभाषी 35,000
महाराष्ट्रीयन 63,000
खत्री 3,000
उड़ीसावासी 17,500
मुस्लिम 19,000
अन्य 30,000
उत्तर गुजरातियों की नाराजगी पड़ सकती है भारी
क्षेत्र में उत्तर गुजरातियों के कई कारखाने हैं। इनमें लूम्स, एम्ब्रोयडरी के उद्योग प्रमुख हैं। पाटीदार आंदोलन के दौरान यह कारखाने बंद रहे थे और कारोबार पर काफी असर पड़ा था। ऐसे में उत्तर गुजरातियों की नाराजगी इस बार भाजपा को भारी पड़ सकती है।
पिछले चुनावों का परिणाम
वर्ष कुल मतदाता मतदान भाजपा कांग्रेस लीड भाजपा
विधानसभा 2012 2,05,649 1,29,445 74,946 42,192 32,754
लोकसभा 2014 2,35,521 1,36,826 99,573 28,283 71,290
मनपा 2015 2,35,275 89,335 42,564 30,699 11,865