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SURAT FOSTTA ELECTION: चुनाव भी लड़ें, भरोसा भी नहीं रखें.!

locationसूरतPublished: Jul 03, 2023 09:41:18 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

सूरत कपड़ा मंडी के व्यापारिक संगठन फैडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन (फोस्टा) के चुनाव में हाल ही में एक लेटर बॉम्ब से सामने आया

SURAT FOSTTA ELECTION: चुनाव भी लड़ें, भरोसा भी नहीं रखें.!
SURAT FOSTTA ELECTION: चुनाव भी लड़ें, भरोसा भी नहीं रखें.!
सूरत. कोई भी चुनाव के मैदान में तब ही उतरता है, जब उसे अपनी जीत का भरोसा होता है या वह हार-जीत से परे अपने विचार रखता हो। अब ऐसा तो नहीं होगा ना कि चुनाव मैदान में भी रहे और चुनाव की परम्परा पर भी विश्वास नहीं रखें! जबकि दिलचस्प बात यह भी रहे कि जिस तरीके से चुनाव हो रहे हैं, उस पर आपकी लिखित सहमति पहले से ही दी हुई हो..। यह सब सूरत कपड़ा मंडी के व्यापारिक संगठन फैडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन (फोस्टा) के चुनाव में हाल ही में एक लेटर बॉम्ब से सामने आया है। एक पैनल के चुनिंदा प्रत्याशियों ने हस्ताक्षरशुदा आपत्ति पत्र पहले बायहैंड और फिर नहीं स्वीकारने पर डाक के माध्यम से फोस्टा चुनाव समिति के पास सोमवार को भेजा है। चार पन्ने में विशुद्ध अंग्रेजी में लिखे इस पत्र में यूं तो कई नई-पुरानी बातों के हवाले और आरोप सिलसिलेवार शामिल हैं, लेकिन उनके मुताबिक इसका कुल लब्बो-लुआब यह है कि समिति फोस्टा चुनाव गलत तरीके से करवा रही है। इसमें भी चार पन्ने में विशुद्ध अंग्रेजी में लिखे इस पत्र पर अंगुलियों पर गिने जा सके प्रत्याशियों में से भी चार के हस्ताक्षर नहीं हैं, इसके क्या मायने निकाले जाएं..? विशुद्ध अंग्रेजी में लिखे पत्र में बार-बार पिछली एजीएम अर्थात वार्षिक साधारण सभा.. का जिक्र किया गया है। मजे की बात यह है कि जिस एजीएम का जिक्र किया गया है, उसमें फोस्टा के गिने-चुने पांच-सात डायरेक्टर्स के अलावा किसी को भी लिखित सूचना नहीं दी गई थी.! इतना ही नहीं, ऐसे डायरेक्टर्स में शामिल दो डायरेक्टर्स मौजूदा फोस्टा चुनाव समिति के पदों पर रहते हुए चुनाव की बागडोर संभाल रहे हैं।फोस्टा चुनाव अंतिम दफा 2012 में हुए थे और उसके बाद 2015 से ही लगातार चुनाव के प्रयास किए जा रहे थे, इन पर अंतिम मुहर गत 11 मई की रात सलाबतपुरा पुलिस थाने में तब लगी थी, जब फोस्टा कार्यालय को ताला मारा और फिर चुनाव चाहने वाले व ‘नहीं चाहने वाले’ दोनों पक्ष की लिखित सहमति से रास्ता खुला था। अब वो ही रास्ता कुछ चुनिंदा प्रत्याशियों को तब रास नहीं आ रहा है जब चुनाव की तारीख 8 जुलाई सिर पर है...अब इसे क्या कहा जाए...!
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