शहर में राजस्थानी बहुल परवत पाटिया, गोडादरा, पुणागांव, टीकमनगर, भटार, घोडदौड़रोड, सिटीलाइट, अलथाण, वेसू, उधना आदि इलाकों में स्थित घरों में गुरुवार को गणगौर पर्व पर विदाई गीत गूंजे। इसमें ‘मैं तो बाबुल रे बागां री चिडक़ली…’ ‘कोयल ए कोयल बैनड़ पिउ पिउ बोल…’ ‘आ बाबूजी री लाडली कठीने चाली रे…’ ‘आई सासरिया री पाळ, झीणो घूंघटों निकाळ…’ ‘आंसू भर भर आवे, आंख्या नीर बहावे…’ ‘मैं तो बाबुल रे बागां री चिडक़ली…’ आदि लोकगीत शामिल रहे। अपराह्न बाद आयोजित बिंदोळा-सिंजारा कार्यक्रम से पूर्व सुबह में गणगौर पूजा में शामिल सभी युवतियों और महिलाओं ने उत्साह के साथ एक ल्यो, दो ल्यो…गीत गाकर पूजा-अर्चना की। चैत्र शुक्लपक्ष गौरी तृतीया शुक्रवार को गणगौर विसर्जन से पहले सुबह में कई घरों में उद्यापन के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। इसमें उद्यापन करने वाली महिला आमंत्रित महिलाओं को सुहाग के सोलह श्रृंगार की वस्तुएं भेंट में देगी। वहीं, शाम को परवत पाटिया, मगोब, उधना आदि क्षेत्र में गणगौर विसर्जन शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल रहेंगे। इससे पूर्व गणगौर पर्व की विदाई वेला में गुरुवार को महिलाओं ने परंपरागत व्यंजन बनाए गए। यह व्यंजन बुधवार को महिलाएं गणगौर पूजा के दौरान उपयोग में लेगी और बाद में सोलह महिलाओं को अन्य सामग्री के साथ भेंट में देगी।