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SURAT KAPDA MANDI: व्यापारिक संगठन बढ़ाने लगे व्यापारिक ताकत

locationसूरतPublished: Jul 29, 2021 08:00:10 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

-सांगठनिक दृष्टिकोण से संख्या बल के महत्व को समझते हुए कपड़ा व्यापारियों के बीच चलने लगे हैं सदस्यता अभियान

SURAT KAPDA MANDI: 10 साल में पहली बार हो रही है साफ-सफाई

SURAT KAPDA MANDI: 10 साल में पहली बार हो रही है साफ-सफाई

सूरत. एशिया की सबसे बड़ी सूरत कपड़ा मंडी में व्यापारिक संगठन की मजबूती में महत्वपूर्ण संख्या बल की ताकत अब क्षेत्रीय व्यापारिक संगठनों को भी समझ में आने लगी है। नतीजन सूरत कपड़ा मंडी के सभी बाजार क्षेत्र में कपड़ा व्यापारियों के बीच सदस्यता अभियान साउथ गुजरात टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन, सूरत मर्कंटाइल एसोसिएशन आदि व्यापारिक संगठनों ने छेड़ रखे हैं।
दशकों पुरानी सूरत कपड़ा मंडी के कपड़ा कारोबार का दायरा प्रतिवर्ष लाखों-करोड़ों के टर्नओवर में लगातार बढ़ता जा रहा है और व्यापारियों की संख्या में भी निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है। सूरत कपड़ा मंडी के हजारों कपड़ा व्यापारियों के बीच कई व्यापारिक संगठन भी तीन-चार दशक से कार्यरत है, लेकिन इनकी व्यापारिक ताकत कहीं ना कहीं से संख्या बल के अभाव में विभिन्न मंचों पर मजबूती से टिक नहीं पाती है। गत चार-पांच वर्षों में सूरत कपड़ा मंडी की व्यापारिक गतिविधि घोर मंदी के अलावा जीएसटी, नोटबंदी और अब कोरोना महामारी के हिचकौले खा रही है। ऐसे हालात में मौजूदा दौर में सूरत कपड़ा मंडी के व्यापारियों के बीच सक्रिय व्यापारिक संगठनों ने राजनीतिक दलों के समान संख्या बल के महत्व को भांप कपड़ा व्यापारियों के बीच सदस्यता अभियान पर जोर दिया है।
-सदस्यता अभियान के तरीके अलग-अलग

सूरत कपड़ा मंडी में व्यापारिक हितों के लिए संघर्ष करने वाले व्यापारिक संगठनों की यूं तो लंबी फेहरिश्त है, लेकिन इनमें से कुछ व्यापारिक संगठन ही जमीनी स्तर पर सक्रिय है। इन सक्रिय व्यापारिक संगठनों में साउथ गुजरात टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन, सूरत मर्कंटाइल एसोसिएशन आदि शामिल है और दोनों ही व्यापारिक संगठन निरंतर अपनी व्यापारिक ताकत को मजबूती देने के लिए सदस्यता अभियान के प्रति सक्रियता बरत रहे हैं। हालांकि दोनों व्यापारिक संगठनों के सदस्यता अभियान के तरीके भी अलग-अलग है। इसमें सूरत मर्कंटाइल एसोसिएशन सूरत कपड़ा मंडी के अलग-अलग क्षेत्र में स्थित टैक्सटाइल मार्केट में छोटी-बड़ी व्यापारिक बैठक आयोजित करती है और सदस्य बने कपड़ा व्यापारियों के प्रतिष्ठानों पर स्टीकर चस्पा करती है। वहीं, साउथ गुजरात टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन आजीवन सदस्य व साधारण सदस्य के रूप में कपड़ा व्यापारियों को सदस्यता अभियान के साथ जोड़ रही है।
-मानने लगे संख्या बल की जरूरत

कपड़ा व्यापारियों के व्यापारिक संगठन संख्या बल से सांगठनिक ताकत बढ़ाने के पीछे कई कारण मानते हैं। व्यापारिक संगठनों का मानना है कि जीएसटी आंदोलन के दौरान देशभर में चर्चा का केंद्र बनी सूरत कपड़ा मंडी के हजारों कपड़ा व्यापारियों को एक साथ सड़क पर उतरते देखा था और तब व्यापारिक व राजनीतिक स्तर पर कपड़ा व्यापारियों की ताकत भी उभरकर सामने आई थी। हालांकि नेतृत्वविहीन आंदोलन का हश्र कुछ बेहद अच्छा नहीं रहा, लेकिन तब सभी के संख्या बल की ताकत समझ में आ गई थी। इसके अलावा कपड़ा व्यापारियों की मजबूत ईच्छाशक्ति व सांगठनिक एकता का ही परिणाम सूरत कपड़ा मंडी में यह भी रहा कि रघुकुल टैक्सटाइल मार्केट की संचालन प्रक्रिया पूरी तरह से मार्केट के ही व्यापारियों के हाथ आई अन्यथा बिल्डर मनमर्जी से संचालन कर रहा था और ऐसा अभी भी सूरत कपड़ा मंडी के कई छोटे-बड़े टैक्सटाइल मार्केट में हो रहा है।
-व्यापारिक हित सर्वोपरि

सूरत मर्कंटाइल एसोसिएशन की नींव व्यापारिक हितों को सर्वोपरि मानते हुए रखी गई है और यहीं वजह है कि कोरोना काल में नियमित व्यापारिक बैठकों का दौर और सुलह-समाधान व कानूनी प्रक्रिया लगातार जारी है। संगठन को अभी कई क्षेत्र में कार्य करना है और इसके लिए व्यापारियों के बीच पैठ बनाने पर लगातार जोर दिया जा रहा है।
नरेंद्र साबू, प्रमुख, सूरत मर्कंटाइल एसोसिएशन
-अलग से ताकत उभरती है

संख्या बल प्रत्येक संगठन की जान है फिर वह किसी भी तरह का संगठन क्यों ना हो। साउथ गुजरात टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन भी इस दिशा में लगातार सक्रिय है और नवगठित कार्यकारिणी के पदाधिकारी व सदस्य एसोसिएशन के सदस्यता अभियान को सूरत कपड़ा मंडी के सभी मार्केट तक ले जा रहे हैं।
सुनीलकुमार जैन, अध्यक्ष, साउथ गुजरात टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन

-कई मायनों में जरूरी है संख्या बल

सूरत कपड़ा मंडी के पिछले एक दशक पर नजर डालें तो साफ लगता है कि व्यापारिक संगठन संख्या बल के अभाव में मजबूती से कपड़ा व्यापारियों के हितों की बात को उचित मंच तक नहीं पहुंचा पाते और पहुंचा भी देते हैं तो उन पर संख्या बल के अभाव में कोई ठोस सुनवाई व समाधान नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में संख्या बल बेहद जरूरी है।
सचिन अग्रवाल, सचिव, साउथ गुजरात टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन

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