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SURAT KAPDA MANDI: जीएसटी दर यथावत के गिने राजनीतिक फायदे-नुकसान

locationसूरतPublished: Dec 31, 2021 05:12:04 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

आखिर जीएसटी दर वृद्धि का संशय जीएसटी काउंसिल की नई दिल्ली में बैठक के बाद सूरत कपड़ा मंडी समेत देशभर की कपड़ा मंडियों के हजारों-लाखों व्यापारियों के मन से हट गया

SURAT KAPDA MANDI: जीएसटी दर यथावत के गिने राजनीतिक फायदे-नुकसान
SURAT KAPDA MANDI: जीएसटी दर यथावत के गिने राजनीतिक फायदे-नुकसान
सूरत. आखिर जीएसटी दर वृद्धि का संशय शुक्रवार जीएसटी काउंसिल की नई दिल्ली में बैठक के बाद सूरत कपड़ा मंडी समेत देशभर की कपड़ा मंडियों के हजारों-लाखों व्यापारियों के मन से हट गया, लेकिन कब तक यह फिलहाल भविष्य के गर्त में है। एक बात अवश्य तय है कि कपड़े पर जीएसटी दर 5 प्रतिशत ही रखने के जहां देश के हजारों-लाखों कपड़ा व्यापारियों को कम-ज्यादा फायदे दिख रहे है वहीं केंद्र में सत्तारूढ़ सरकार ने भी इसके कई राजनीतिक फायदे-नुकसान के समीकरण देखे है।
हाल ही में केंद्र सरकार ने 9 माह से ज्यादा समय तक चले किसान आंदोलन के बाद कृषि कानून वापस लिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि सरकार किसानों को कृषि कानून के फायदे नहीं समझा पाई। अब जीएसटी दर वृद्धि के मामले में थोड़ा सा हटकर रहा और यहां केन्द्र सरकार में शामिल मंत्री और पार्टी नेता 12 प्रतिशत जीएसटी से होने वाली दिक्कतें गिना रहे थे। यह सभी केन्द्रनीत भाजपा सरकार के नेता जीएसटी दर वृद्धि के निर्णय के ना केवल आर्थिक बल्कि राजनीतिक नुकसान भी बेहतर जानते है और आसन्न उत्तरप्रदेश समेत देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में लगातार मेहनत भी कर रहे है, ऐसी स्थिति में वे यह भी जानते है कि कपड़े पर जीएसटी 12 प्रतिशत होने से निकटवर्ती विधानसभा चुनाव में सूरत कपड़ा मंडी समेत देशभर की अन्य कपड़ा मंडियों से किस हद तक नुकसान पहुंच सकता है...। इसके अलावा यहां 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक एक-डेढ़ वर्ष पहले से गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री व दो टर्म से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सूरत कपड़ा मंडी के इन्हीं हजारों-लाखों कपड़ा व्यापारियों को गुजरात सरकार का ब्रांड अम्बेसडर बोल-बोल कर देश के कोने-कोने में प्रचार करने पहुंचे थे और उसके फायदे भी फिर पूरे देश ने लोकसभा चुनाव परिणाम में देखे है।
भारतवर्ष में राजनीतिक मान्यता है कि केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तरप्रदेश से होकर पहुंचता है और थोड़े समय पहले ही भाजपा पश्चिम बंगाल में अधिकांश विधानसभा सीटों पर नजदीकी अंतर से हारकर सत्ता से दूर रह चुकी है अब आसन्न उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में इस तरह की वह कोई गुंजाइश नहीं रखना चाहती। इतना ही नहीं सूरत कपड़ा मंडी के अधिकांश कपड़ा व्यापारियों का उत्तरप्रदेश के अधिकांश जिलों-तहसीलों में सीधा सम्पर्क है, इसलिए भी जीएसटी दर वृद्धि एक जनवरी से लागू कर किसी तरह की रिस्क लेना भाजपा के लिए मुनासिब नहीं था। सूरत कपड़ा मंडी में तो यहां तक भी चर्चा है कि गत दिनों ही एक व्यापारिक संगठन के बुलावे पर सूरत आए देशभर में जाने-माने वक्ता ने जीएसटी दर वृद्धि से पनपने हालात और उसके राजनीतिक नुकसान उत्तरप्रदेश के मुखिया को फोन पर ही सुना डाले और यह भी बताए गुजरात के भाजपा नेता यूं ही जीएसटी दर वृद्धि के विरोध में कपड़ा व्यापारियों के सुर में सुर नहीं मिला रहे बल्कि उसके भविष्य में राजनीतिक फायदे-नुकसान को अधिक गिन रहे हैं।
बहरहाल केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक के बाद जीएसटी दर कपड़े पर 5 प्रतिशत यथावत रख भारत के दूसरे बड़े उद्योग से जुड़े लाखों-करोड़ों लोगों को राजनीतिक दृष्टिकोण से साधने की कोशिश की है, अब यह अलग बात है कि सरकार कपड़ा व्यापारियों को कब तक साध रखती है।

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