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SURAT KAPDA MANDI: अब सात दिन के स्वैच्छिक लॉकडाउन की अपील!

locationसूरतPublished: Apr 20, 2021 09:02:03 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

महानगरपालिका के उच्च अधिकारी के पत्र में ऑड-ईवन का भी दिया गया है परामर्श

SURAT KAPDA MANDI: सेल्फ लॉकडाउन से रिंगरोड पर पसरा सन्नाटा

SURAT KAPDA MANDI: सेल्फ लॉकडाउन से रिंगरोड पर पसरा सन्नाटा

सूरत. सूरत कपड़ा मंडी के रिंगरोड कपड़ा बाजार में अब सात दिन के स्वैच्छिक लॉकडाउन समेत ऑड-ईवन के लिए महानगरपालिका के उच्च अधिकारी के पत्र की मंगलवार को खूब चर्चा रही। हालांकि इस पत्र के बारे में किसी व्यापारिक संगठन ने खुलकर नहीं बोला है, लेकिन दबी जुबान से इसका विरोध व समर्थन भी हो रहा है।
सूरत में कोरोना महामारी की तीव्र गति को रोकने के उद्देश्य से पिछले सप्ताह महानगरपालिका प्रशासन ने कपड़ा व्यापारियों के विभिन्न संगठनों से दो दिवसीय स्वैच्छिक लॉकडाउन की अपील की थी और उसे स्वीकारते हुए शनिवार और रविवार को सूरत कपड़ा मंडी का रिंगरोड कपड़ा बाजार, मोटी बेगमवाड़ी कपड़ा बाजार, सारोली कपड़ा बाजार बंद रहे थे। दो दिवसीय स्वैच्छिक लॉकडाउन के बाद सोमवार सुबह जैसे ही कपड़ा बाजार खुला तो प्रशासनिक अधिकारी का एक और लेटर व्यापारिक संगठनों को मिला और इसमें सात दिन के स्वैच्छिक लॉकडाउन और बाद में ऑड-ईवन से मार्केट खोलने का परामर्श दिया गया था। मंगलवार को रिंगरोड कपड़ा बाजार में इस पत्र की व्यापारियों के बीच खूब चर्चा रही और इनमें से कई व्यापारियों ने इसे शहर की मौजूदा परिस्थिति और कपड़ा कारोबार के हाल को ध्यान में रख उचित बताया तो कई व्यापारियों के मुताबिक सूरत कपड़ा मंडी को ही प्रशासन कोरोना के प्रसार का कारण क्यों मानता है, अन्य व्यापार-उद्योग भी है जहां सैकड़ों लोग एकत्र रहते हैं…राय रखते हुए बातचीत में विरोध जताया। हालांकि फिलहाल इस पत्र के प्रति कपड़ा व्यापारियों के व्यापारिक संगठनों ने खुलकर अपनी राय प्रकट नहीं की है वहीं, एक अन्य संगठन ने सोमवार को ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर लॉकडाउन लगाए जाने की बात कह दी थी।
– विरोध की यह बताई है वजह

लॉकडाउन कोरोना महामारी की समस्या का समाधान नहीं है बल्कि इससे व्यापार-उद्योग, मध्यम, गरीब वर्ग को बड़ा नुकसान हो जाएगा। कोरोना से सुरक्षा के सभी मानकों के साथ ही आगे बढऩा होगा। वैक्सीनेशन पर जोर देने तथा गाइडलाइन का सख्ती से पालन भी आवश्यक है, ताकि कोरोना का प्रसार नियंत्रित किया जा सकें। लॉकडाउन के नाम से श्रमिक वर्ग में भय फैलता है और उसके बुरे परिणाम सभी ने पिछले वर्ष देखे हैं।

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