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SURAT KAPDA MANDI: कपड़ा बाजार का पीक सीजन बन गया ऑफ सीजन

locationसूरतPublished: Apr 12, 2021 08:37:48 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

-अकेले अप्रेल माह में पूरे साल का 30 फीसद कारोबार कपड़ा व्यापारी कर लेते थे, पिछला साल लॉकडाउन में निकला और यह साल मानों लगा शटडाउन

SURAT KAPDA MANDI: सैकड़ों व्यापारी-कर्मचारी कपड़ा बाजार से लौटे घर

SURAT KAPDA MANDI: सैकड़ों व्यापारी-कर्मचारी कपड़ा बाजार से लौटे घर

सूरत. कोरोना से सूरत कपड़ा मंडी के कारोबार पर लगा ग्रहण लगातार दूसरे साल भी बरकरार है। पिछले साल कपड़ा कारोबार का चैत्र-वैशाख का पीक सीजन लॉकडाउन में बीत गया और यह साल मौजूदा हालात से बने शटडाउन में बीतता दिख रहा है। दो साल पहले तक सूरत कपड़ा मंडी में चैत्र-वैशाख में पूरे साल के कपड़ा कारोबार का 30 फीसद हो जाता था, जो कि अभी पूरी तरह से ऑफ सीजन बन गया है।
सूरत कपड़ा मंडी का कपड़ा कारोबार यूं तो सालभर चलता है, लेकिन इसमें अलग-अलग सीजन अलग-अलग अवधि के आते रहते हैं और साल का सबसे बड़ा लग्नसरा सीजन जो कि मार्च से जून तक तीन से चार माह का रहता है वो अभी चल रहा है और उसमें भी अप्रेल का महीना चैत्र-वैशाख के हिसाब से सर्वाधिक पीक सीजन के तौर कपड़ा बाजार में गिना जाता है। सूरत कपड़ा मंडी के जानकार बताते हैं कि चैत्र-वैशाख के दौरान पूरे भारतवर्ष की कपड़ा मंडियों में लेवाली-बिकवाली रहती है और उसकी वजह से सूरत कपड़ा बाजार के 98 प्रतिशत व्यापारियों के पास व्यापार होता है। इनमें से अधिकांश कपड़ा व्यापारी अपने पूरे साल के कपड़ा कारोबार का 30 फीसद व्यापार इसी चैत्र-वैशाख के पीक सीजन में कवर कर लेते हैं, लेकिन नियती को शायद इस साल भी यह मंजूर नहीं था तभी कोरोना महामारी की भयावह दूसरी लहर से यह पीक सीजन अभी ऑफ सीजन जैसा बना हुआ है। लॉकडाउन भले नहीं लगा, लेकिन शटडाउन जैसे हालात से हर कोई कपड़़ा व्यापारी को जूझना पड़ रहा है।

-कहां पर किस तरह का असर


-वीवर्स के कारखानों में लूम्स एक पारी में होने लगी संचालित। 20 प्रतिशत ग्रे का ही उत्पादन। यहां से लेबर का भी पलायन।
-कपड़ा बाजार में व्यापारियों के पास महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और अब मध्यप्रदेश की अधिकांश मंडियों में माल ढुलाई रुकने से नए ऑर्डर नहीं और पुराने केंसल होने की आई नौबत।
-मार्केट क्षेत्र में लगातार प्रशासनिक सख्ती के बाद अब व्यापारी-कर्मचारी के साथ श्रमिकों की संख्या भी होने लगी कम, हालांकि यहां से पलायन के समाचार नहीं मगर होली पर गए लोग वापस लौटे भी नहीं।
-ट्रांसपोर्ट व्यावसायियों के यहां भी महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश की माल बुङ्क्षकग बंद कर दी गई है। थोड़ी-बहुत माल ढुलाई राजस्थान, दिल्ली व यूपी-बिहार में की जा रही है।
-डाइंग-प्रिंटिंग मिलों में भी जॉबवर्क में लगातार कमी। उत्तर भारत के पंचायत चुनाव में श्रमिकों का जाना शुरू।

-पीक सीजन 2 साल पहले और अब


गतवर्ष चैत्र-वैशाख का पीक सीजन लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया था और अभी के हालात शटडाउन जैसे हैं। लेकिन, दो साल पहले तक इस पीक सीजन का कारोबार कुछ इस तरह से रहता था।
-वीविंग सेक्टर साढ़े छह लाख लूम्स मशीनें 24 घंटे चालू और ऑर्डर के मुताबिक करना पड़ता था ओवर प्रोडक्शन। हाल में मात्र 20 प्रतिशत ग्रे उत्पादन।
– कपड़ा बाजार में तैयार माल के पार्सलों का रोजाना लगता था ढेर। पीक सीजन में रोजाना 80 से 90 हजार पार्सलों की डिस्पेचिंग। मौजूदा दौर में मात्र 15 से 20 हजार पार्सल की डिस्पेचिंग।
-प्रतिदिन ट्रांसपोर्ट्र्स के यहां से साढ़े चार सौ से पांच सौ ट्रकों की अन्यत्र मंडियों में होती थी रवानगी। अभी रोज 7-80 ट्रकों की रवानगी।

-बेहद बुरा दौर


सूरत कपड़ा मंडी के कपड़ा कारोबार के बेहद बुरे हाल है। कोरोना महामारी की भयावह स्थिति ने देश के दूसरे बड़े कारोबार को झकझोर दिया है। मौजूदा हालात में 15 से 20 फीसद व्यापार भी बमुश्किल हो पा रहा है।
सुशील गाडोदिया, कपड़ा व्यापारी, मिलेनियम मार्केट।

-बुकिंग लेने में भी डर


शहर में साढ़े तीन सौ से चार सौ ट्रांसपोर्ट कंपनियां है और सभी के यहां पर महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और अब एमपी की बुकिंग बंद जैसी ही है। आए दिन अलग-अलग शहरों की स्थिति जानने से बुकिंग लेने में भी डर का माहौल बना है।
युवराज देसले, प्रमुख, सूरत टैक्सटाइल गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन।

-श्रमिक फिलहाल यहीं


कोरोना से कपड़ा कारोबार की स्थिति लगातार बिगड़ रही है, लेकिन इसके बावजूद यह अच्छी बात है कि श्रमिक-स्टाफ फिलहाल यहीं है। हालांकि काम के अभाव में उनकी मौजूदगी कपड़ा बाजार में दिखाई अवश्य नहीं दे रही है।
दिलीप खूबचंदानी, आढ़तिया, सिल्क हेरीटेज मार्केट

-ऑफ सीजन जैसा बना है माहौल


कपड़ा कारोबार में अप्रेल का महीना याने फुल सीजन, लेकिन इस बार इंडस्ट्री चालू होने के बावजूद ऑफ सीजन जैसा माहौल बना है और यह कोरोना की वजह से है। प्रोसेस इंडस्ट्री में भी पीक सीजन में जॉबवर्क में गिरावट का माहौल है।
कैप्टन विपिन पिल्लई, प्रोसेसर्स, कड़ोदरा

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