-आज जरूरत 400 से ज्यादा सूरत कपड़ा मंडी की मौजूदा दिनों की व्यापारिक चहल-पहल के बीच मालवाहक वाहनों की जरूरत 400 से ज्यादा की बताई जा रही है और ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों के पास इतनी संख्या में मालवाहक वाहन नहीं है। लग्नसरा सीजन तेजी में होने से सूरत कपड़ा मंडी से प्रतिदिन 70-80 हजार पार्सल देशभर की कपड़ा मंडियों के लिए रवाना होते हैं और एक पार्सल की अनुमानित कीमत 35-40 हजार रुपए तक होती है।
-माल को वाहन के साथ ले जाते हैं घर मालवाहक टेम्पो के चालक व अन्य लोग ट्रांसपोर्ट कंपनियों में तैयार माल के पार्सल बुकिंग नहीं होने पर उनकी सुरक्षा के लिहाज से अपने घरों के वहां भी ले जाते हैं। ऐसा छुट्टी के एक दिन पहले अर्थात शनिवार को ज्यादा देखने को मिलता है और गोडादरा, डिंडोली, पुणागांव आदि क्षेत्र में सोसायटियों के बाहर मालवाहक टेम्पो खड़े रहते हैं।
-होली पर वाहन के साथ रुक जाते हैं मालवाहक वाहनों की कमी की वजह से में ट्रांसपोर्ट व्यवसायी बताते हैं कि होली के दिनों में बड़े वाहनों के चालक-परिचालक अपने-अपने गांव जाते हैं और अधिकांश वाहन भी साथ ले जाते हैं। अब जब तक होली के बाद उन वाहनों में सूरत अथवा दक्षिण गुजरात आने वाले माल की बुकिंग पूरी नहीं होती तब तक वे गांव ही रुके रहते हैं और नतीजन मालवाहक वाहन भी उनके गांव में खड़े रहते हैं।
-हर बार की है यह समस्या सारोली स्थित ट्रांसपोर्ट कंपनियों के बाहर छोटे-छोटे मालवाहक टेम्पो की कतारें लग्नसरा सीजन के इन दिनों में सामान्य बनी हुई है और यह समस्या हर बार व्यापारियों के सामने आती है। ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों को इसका कोई ठोस रास्ता निकालना चाहिए क्योंकि यहीं तो व्यापारिक सीजन का वक्त होता है।
सुशील गाडोदिया, कपड़ा व्यवसायी, मिलेनियम टेक्सटाइल मार्केट -कुछ ही दिन में लौट आएंगे होली के दिनों में सूरत कपड़ा मंडी में मालवाहक वाहनों की कमी की समस्या सामने आती ही है, इसका फिलहाल कोई ठोस उपाय भी नजर नहीं आता है। होली को बीते 10-12 दिन होने को है और अब देश के अलग-अलग राज्यों में मालवाहक वाहनों के साथ रुके चालक-परिचालक माल की बुकिंग पूरी होने के साथ ही अगले कुछ दिनों में सूरत समेत दक्षिण गुजरात लौट आएंगे और तब समस्या कम हो जाएगी।
युवराज देसले, प्रमुख, सूरत टेक्सटाइल गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन