-इन वजहों से आया था रास
कोरोना काल में डिजीटल प्लेटफार्म के उपयोग से व्यापारियों की व्यापारिक उदासीनता दूर हो गई थी और इसकी कई कारोबारी वजहें भी थी। इनमें कपड़ा व्यापारी के प्रोडक्ट, डिजाइन, क्वालिटी, क्वांटिटी, नए क्रिएशन की लिस्ट, लास्ट केटलॉक और लेटेस्ट केटलॉक आदि तेजी से निचली मंडी के ग्राहक व्यापारियों के पास पहुंचते है और उतनी ही तेजी से स्थानीय कपड़ा व्यापारियों को पसंद आयटम के ऑर्डर भी मिलते। इतना ही नहीं सूरत कपड़ा मंडी की ब्रांडेड फर्में ही नहीं बल्कि अब तो मंझोली फर्मों ने भी अपने-अपने ब्रांड के नाम से एप्लीकेशन बनाकर अपने सभी तरह के प्रोडक्ट, वैरायटी, क्वांटिटी, रेट, कुरियर, ट्रांसपोटर््र्स, डिस्पैचिंग समेत सभी तरह की जानकारी ग्राहकों के लिए उपलब्ध करवाने की सीख हासिल कर ली है। इसमें भी एक कदम और आगे निचली मंडी के व्यापारियों ने सूरत कपड़ा मंडी में आए बगैर 60 से 70 फीसदी कारोबार पिक्चर, वीडिय़ो, वीडिय़ो कॉलिंग, जूम मीटिंग आदि के भरोसे व्यापार करने लगे हैं। डिजीटल प्लेटफार्म पर लाइव हॉलसेव बाजार का कंसेप्ट भी धीरे-धीरे आने लगा है और इससे ग्राहकों को कपड़ा पसंद करने के लिए एक क्लिक पर उत्पाद संबंधी सभी तरह की जानकारी भी उपलब्ध होने लगी है।
-मौजूदा दौर में यहां है यह हालात
लग्नसरा सीजन का सर्वाधिक पीक बंगाल की कोलकाता मंडी में रहता है क्योंकि यहां पर शादी और रमजान की खरीदारी बंगाल के साथ-साथ बंगलादेश व अन्य देशों के लिए भी होती है। बंगलादेश में लॉकडाउन के हालात है और बंगाल में चुनाव निपटते ही लॉकडाउन का डर लोगों में बना हुआ है। मार्च की शुरुआत में डिजीटल प्लेटफार्म से 60 से 70 प्रतिशत तक ऑर्डर मिलने शुरू हो गए थे जो मौजूदा हालात में अब 5 से 10 प्रतिशत ही रह गए हैं। महाराष्ट्र में तो ऑनलाइन ऑर्डर पहले से ही बंद हैं। छत्तीसगढ़ की रायपुर समेत अन्य मंडियों में भी शुरुआती दौर में ऑफलाइन से अधिक ऑनलाइन ऑर्डर लग्नसरा सीजन के आने लगे थे मगर यहां भी लॉकडाउन से पनपी स्थिति में अब 10 से 15 प्रतिशत ही ऑर्डर रह गए हैं और अधिकांश पुराने रद्द करा दिए हैं। कमोबेश राजस्थान-दिल्ली मंडी के भी यहीं हालात है और दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडू में पहले चुनाव और बाद में कोरोना ने ऑनलाइन व्यापारिक ऑर्डर का ढांचा बिगाड़ दिया है। हाल में केवल मात्र यूपी-बिहार की मंडियों में व्यापारिक कारोबार हो रहा है और सूरत कपड़ा मंडी में ऑनलाइन 15 से 20 प्रतिशत व्यापार मौजूदा दौर में हो रहा है। ऑफलाइन पूरी तरह से बंद हो चुका है, बाहरी मंडियों के व्यापारी अब सूरत नहीं आ रहे हैं।
-रह गया 20 प्रतिशत तक
डिजीटल प्लेटफार्म ने मार्च शुरुआत में कपड़ा कारोबार में तेज गति पकड़ी थी और सूरत कपड़ा मंडी में यह 70 प्रतिशत तक पहुंच गया था मगर अब हालात यह हो गए हैं कि यह 20 प्रतिशत ही रह गया है। उसमें भी यूपी-बिहार मंडियों का ही व्यापार अधिक है।
सुधीर गोयल, कपड़ा व्यापारी
-स्टॉप डिस्पेचिंग के ही अधिक मैसेज
यूपी-बिहार के सिवाय देशभर की कपड़ा मंडियों में बंद के समान हालात इन दिनों बने हुए हैं और वहां की परिस्थितियों के मद्देनजर व्यापारी सूरत कपड़ा मंडी में नए ऑर्डर के बजाय पुराने ऑर्डर की स्टोप डिस्पेचिंग के ही अधिक मैसेज भेज रहे हैं।
संजय अग्रवाल, कपड़ा व्यापारी
-पहले चुनाव और अब कोरोना
दक्षिण भारत के केरल व तमिलनाडू में पहले विधानसभा चुनाव थे और अब आंध्रा, कर्नाटका के साथ वहां भी कोरोना का व्यापक असर होने लगा है। ऐसे हालात में चारों बड़े राज्यों की अधिकांश कपड़ा मंडियों में ऑनलाइन-ऑफलाइन खरीदारी रुक गई है।
जगदीशकुमार चौधरी, कपड़ा व्यापारी