सूरत के कपड़ा उद्योग को साड़ी और ड्रेस मटीरियल्स के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके अलावा भी सूरत के कपड़ा उद्योग की पहचान है। चुनाव प्रचार की सामग्री तैयार करवानी हो तो भी सूरत का कपड़ा उद्योग राजनीतिक पार्टियों की पहली पसंद है।
इसी तरह धार्मिक कार्यों के लिए कपड़ों के साथ धार्मिक संगठनों की महिलाओं की साड़ी, मफलर, टोपी आदि भी सूरत में बनते हैं। कुछ धर्मगुरुओं की अनुयायी जो साडिय़ां पहनती हैं, वह सूरत की देन है। कपड़ा उद्यमी संजय सरावगी ने बताया कि सूरत के कपड़ा उद्यमी कम कीमत से अधिक कीमत तक की साडिय़ां बनाने में सक्षम हैं। सूरत में पॉलिएस्टर कपड़ों पर साडिय़ां बनाई जाती हैं, जो सभी वर्गों के लिए अफोर्डेबल है। भगवान के लिए कपड़े ब्रोकेट जरी, नेट आदि पर बनते हैं, जो सूरत में सरलता से उपलब्ध हैं।
एक अंदाज के अनुसार सालभर में धाॢमक कपड़ों का व्यापार दो हजार करोड़ रुपए का होता है। व्यापारी सुभाष अग्रवाल ने बताया कि सूरत का कपड़ा उद्योग हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। धार्मिक कपड़े बनाने के मामले में भी सूरत अव्वल है। यहां के कपड़ों की कम कीमत और अच्छी गुणवत्ता के कारण लोग धाॢमक कपड़ों के लिए सूरत को पसंद करते हैं।
नबीपुरा हादसे में एक और महिला की मौत
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-८ पर नबीपुर के पास मंगलवार सुबह हुए सडक़ हादसे में घायल एक महिला की बुधवार तडक़े मौत हो गई। इसके साथ ही इस हादसे में मरने वालों की संख्या पांच हो गई है। उधना के ओम-गीता अपार्टमेंट निवासी जयेश खोरसिया की पत्नी हिना (35) अपनी पुत्री ध्रुविका के साथ पूणागाम अर्पण अपार्टमेंट निवासी रिश्तेदार संजय तुलसीभाई भद्रेश्वरा की बारात में द्वारका गई थी।
वहां से लौटते समय मंगलवार सुबह बारात की बस भरुच जिले के नबीपुर के निकट हाईवे पर ट्रक से टकरा गई थी। बारात में शामिल ४५ जनों में से संजय की पत्नी हिमानी, पिता तुलसी भाई भद्रेश्वरा, मां गीता बेन भद्रेश्वरा की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि संजय समेत १७ जने घायल हो गए थे। गंभीर रूप से घायल हिना को अडाजण क्षेत्र के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बुधवार तडक़े उसकी मौत हो गई। घायल ध्रुविका एक अन्य निजी अस्पताल में भर्ती है। हिना के पति जयेश की सगरामपुरा में सिलाई की दुकान है।
प्रदीप मिश्रा