अहमदाबाद में पहले ही देर से चल रही मेट्रो सूरत के प्रोजेक्ट को और लंबा लटकाने जा रही है। सूरत में मेट्रो प्रोजेक्ट की डीपीआर का काम डीएमआरसी को सौंपा गया है। डीएमआरसी से फाइनल हुई डीपीआर मेगा के माध्यम से राज्य सरकार तक पहुंचती, उससे पहले ही केंद्र सरकार ने नीतिगत निर्णय कर प्रोजेक्ट के मानकों में बदलाव कर दिए। इसके बाद डीएमआरसी ने संशोधित डीपीआर तैयार कर मेट्रो के लिए नए सिरे से नीतियां तैयार कीं। सूरत मनपा ने इन्हें रिवाइज करते हुए मेट्रो सरचार्ज और वैल्यू कैप्चर्ड फाइनेंसिंग के प्रावधान किए। इन संशोधनों के स्थाई समिति से मंजूरी के बाद संशोधित डीपीआर अब राज्य सरकार की एजेंसी मेगा को सौंपे जाने की तैयारी है।
उधर, अहमदाबाद के मेट्रो प्रोजेक्ट के फेज दो की डीपीआर भी तैयार हो गई है और मेगा आगामी दिनों में उसे राज्य सरकार को भेजने की तैयारी में है। यह जानकारी मिलने पर सूरत मनपा ने मेगा से संपर्क कर सूरत मेट्रो की डीपीआर भी अहमदाबाद के साथ राज्य सरकार में रखने का सुझाव दिया है। यदि दोनों डीपीआर साथ रखी जाती हैं तो भी माना जा रहा है कि राज्य सरकार अहमदाबाद प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद ही सूरत में मेट्रो प्रोजेक्ट पर ध्यान देगी। इस देरी का असर शहर में शुरू होने वाले मेट्रो प्रोजेक्ट पर पड़ेगा। देरी की वजह से उसकी लागत बढऩी तय है।
विधानसभा चुनाव से पहले होना था शुरू अहमदाबाद में मेट्रो प्रोजेक्ट की देरी का आलम यह है कि पहले चरण में मेट्रो ट्रेन का दस किमी लंबा जो हिस्सा प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हो जाना था, वह अब तक पूरा नहीं हो पाया है। निकट भविष्य में उसके पूरा होने के आसार भी नहीं दिखते। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यदायी संस्था और राज्य सरकार को यह रूट लोकसभा 2019 से पहले हर हाल में शुरू करने के निर्देश दिए हैं। जानकारों की मानें तो मोदी हर हाल में लोकसभा चुनाव से पहले अहमदाबाद में मेट्रो को हरी झंडी दिखा देना चाहते हैं। ऐसे में राज्य सरकार का पूरा फोकस फिलहाल अहमदाबाद के मेट्रो प्रोजेक्ट पर है। अहमदाबाद का काम पूरा होने से पहले राज्य सरकार सूरत में मेट्रो पर ध्यान देगी, इसमें संदेह है।
सूरत मनपा की तैयारी पूरी मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर सूरत मनपा प्रशासन अपनी ओर से कोई कसर छोडऩा नहीं चाहता। यही वजह है कि मेट्रो के रास्ते में आ रही जमीनों का अध्ययन किया जा रहा है। जिन जमीनों के कब्जे मनपा के पास नहीं हैं, उन्हें हासिल करने की प्लानिंग पर भी मनपा टीम ने काम शुरू कर दिया है। अधिकारियों का मानना है कि पहले से होमवर्क कर लिया जाए तो प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलते ही उस पर अमल किया जा सकता है। गौरतलब है कि जमीनों पर कब्जा नहीं मिलने की वजह से मनपा के कई प्रोजेक्ट्स का काम अटक चुका है। मनपा प्रशासन नहीं चाहता कि पहले से ही लटक रहे मेट्रो प्रोजेक्ट का काम जमीन का कब्जा नहीं होने की वजह से रुके।